Maa baap ki seva hi asli dhrm hai
माँ बाप की सेवा ही असली सेवा है। सारे तीर्थ एक और माँ बाप के सेवा एक और है। श्रवण कुमार कितने महान थे ,जिन्होंने अपने माँ बाप की सेवा की।
अगर हमे जीवन ही नहीं मिलता तो हम कैसे देख पाते इस दुनिया के रंग को। हम सभी जब छोटे होते है ,तो माँ बाप को बहुत परेशान करते है ,लेकिन जब हम बड़े होते है तो उनकी बाते हमे बुरी लगती है। ऐसा क्यों है इस संसार में जब कि ये तो हम सभी को पता है की एक दिन हमे भी किसी के माँ बाप बनना है। अरे भाई सबसे बड़े भगवान तो हमारे माँ बाप है। तो क्यों ना हम उनकी इच्छा पूरी करे। उनकी इच्छा भी बस हमारी ख़ुशी में ही है ,अगर हम खुश तो हमारे माँ बाप भी खुश हो जाते है। फिर क्यों इस दुनिया की झूठी बातों में आकर हम तीर्थ करे। मेरे हिसाब से तो सबसे पहले माँ बाप के पैर छुओ और तब दिन का कोई कार्य करो। अगर हमारा मन किसी की सेवा में लगता है तो हमारा जीवन भी सरल और अच्छा व्यतीत लगने लगेगा। जो भी भाई अपने माँ बाप की सेवा करता है। वही असली जिंदगी जीता है क्योकि माँ बाप के पैरो में जो जनत होती है वो और कही नहीं हो सकती।
माँ बाप सदा ये सोचता है की हमारा बच्चा बड़ा होकर हमारा नाम जग में रोशन करेगा। उनकी सदा यही कामना होती है कि हमारे बच्चे हम से भी आगे निकल जाये। माँ बाप की सेवा ही असली धर्म है हमारा क्योकि उन्होंने अपना पूरा जीवन तो हमारे पीछे गवा दिया और बुढ़ापे में कही और जाए ये कहा का इंसाफ है। एक बार की बात है। एक गांव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था उसका एक लोता लड़का था ,जो की सरकारी नौकरी करता था। उसका बूढ़ा बाप अब अक्सर बीमार रहने लगा था। उस लड़के की पत्नी उस बूढ़े बीमार की सेवा करने से इंकार करने लगी और रोज घर में उस बूढ़े बाप को लेकर झगड़ा होने लगा। एक दिन की बात है कि लड़का नौकरी से वापिस घर आया तो उसकी पत्नी बोली ! देखो >जी मेरे बस में नहीं आपके बूढ़े बाप की सेवा करना आप ऐसा करो ना इस बूढ़े बाप को कही दूर नदी में फेक आओ उससे यह मर जायगा और हमारा पीछा भी छूट जायगा। लड़के को अपनी पत्नी की बात बहुत अच्छी लगी। ये सारी बाते उसके बूढ़े बाप ने सुन ली थी। वह बेचारा करता भी तो क्या उसने सोच लिया था कि आज रात को तेरा अंतिम समय आ जायगा। वह भी बहुत दुखी था रोज -रोज के ताने से उसने सोचा की चलो सेवा ना सही पर मुक्ति तो मिल जायगी। रात जब उस बूढ़े बाप का लड़का उसको सोता समझकर उसे एक लम्बी बोरी में डालकर उसे अपने सिर पर उठाकर उसे नदी के किनारे ले गया तो जैसे ही वह उसे फेकने वाला था तभी उसे बूढ़े बाप की आवाज सुनाई दी। बूढ़ा बाप बोला बेटा जरा थोड़ा और आगे गिराना क्योकि मैंने भी अपना बाप ईसी नदी में गिराया था। बस फिर किया था उस लड़का का मन बदल गया उसने सोचा जब मेरे बाप ने मेरे दादा जी को इस नदी में गिराया है ,तो कल तेरा भी नबर आ सकता है। उसने तुरंत बोरी को नीचे उतरा और अपने बूढ़े बाप को बाहर निकला और सीधा उनके चरणों में गिर गया पड़ा। अपनी गलती मानने लगा तभी उसके बूढ़े बाप ने उसे उठाकर अपनी छाती से लगा लिया और बोला बेटा मैने ऐसा कुछ भी नहीं किया था आपके दादा जी के साथ मैने तो तुम्हे रहा दिखने के लिए ये सब कहा था। फिर तो
दोनों खुशी -ख़ुशी घर वापस लोट आए। अब उसकी पत्नी ने दोनों को साथ देखकर दंग रह गयी की ये दोनों साथ
कैसे लग गए। अब फिर उसकी पत्नी गुस्से से बोली ये किया आपने तभी उस बूढ़े बाप के लड़के ने एक जोर से थपड उसके गाल पर लगा दिया। फिर तो उसकी पत्नी भी मान गयी और सभी ख़ुशी -ख़ुशी रहने लगे घर में।
देखो कभी -कभी हम दुसरो को सही बाते बताते है लेकिन अपने आप से कभी ये सवाल नहीं करते की हम कितने सही है या कितने गलत। श्रवण कुमार को आज माँ बाप की सेवा की लिए ही जाना जाता है। आज भी हर घर की माँ अपने पुत्र में श्रवण कुमार देखती है।
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