MAKHAN CHOR
श्रीकृष्ण बचपन में बड़े ही नटखट थे। वह अपने सखाओ के साथ गोकुल की गलियों में खेलते थे। वह
ग्वालनिओ को आते -जाते तंग किया करते थे। कभी -कभी ग्वालनिओ की मटकिया भी फोड़ देते थे। अवसर पाकर
उनके घरो में घुस जाते थे। वहा वह चोरी से माखन खाते थे और अपने सखाओ को भी खिलाते थे। जब ग्वालनिए माँ यशोदा से श्रीकृष्ण की शिकायत करती थी तो यशोदा माँ श्रीकृष्ण को डाटने लगती थी
तब श्रीकृष्ण बड़े भोले
-भले बनकर कहते थे - " माँ मैने ऐसा कुछ नहीं किया। ये ग्वालनेए मुझे पिटवाने के लिए मेरे पीछे पड़ी है। "
एक बार वह एक ग्वालनी 'छबीली ' के घर में घुसे। छबी
ली घर में नहीं थी। कृष्ण ने देखा कि एक कोने में माखन की मटकी रखी है। उन्होंने माखन निकालने को मटकी में हाथ डाला ही था कि तभी छबीली आ गई। उसने कृष्ण को पकड़ लिया।
छबीली ने कहा - -" आज मैने तुमको चोरी करते पकड़ लिया। चलो यशोदा जी के पास। " वह श्रीकृष्ण को पकड़ कर माँ के पास ले गई। उसने यशोदा माँ से कहा --"देखो मैने आज तुम्हारे बेटे को चोरी करते पकड़ लिया है। इसके हाथ माखन में सने हुश्रीए है। " यशोदा जी को क्रोध आ गया। उन्होंने श्रीकृष्ण को दंड देने को हाथ उठाया।
श्रीकृष्ण ने भोले बनकर कहा --"माँ मैने इसका माखन नहीं चुराया। मै अपना घर समझकर भूल से इसके घर में चला गया था। वहां इसका माखन रखा था। मैने देखा कि माखन में चींटी पड़ी है। मै उसे निकाल रहा था। तभी इसने मुझे पकड़ लिया। "कृष्ण की बात सुनकर छबीली को हांसी आ गयी। यशोदा भी बहाना सुनकर हशने लगी।
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