lalch ka fl

इस कहानी से हमने यह बताने की चेस्टा की है कि लालच नहीं करना चाहिए जितना मिल रहा है उतनमे में ही सब्र करना चाहिए। क्योकि लालच का फल बहुत बुरा होता है। 

बहुत समय पहले एक गांव में एक किसान अपने परिवार के साथ र
हता था। किसान के परिवार में उसकी पत्नी ,दो बच्चे तथा वृद्ध माता -पिता थे। किसान बहुत गरीब था। परंतु वह काम से कभी जी नहीं चुराता था। वह बहुत महेनती था। सारा दिन कड़ी महेनत करके बड़ी मुश्किल से अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाता था। 
          किसान बहुत मेहनती होने के साथ -साथ भगवान में भी विशवास रखता था। सारा दिन कठोर परिश्रम करने के बाद जो समय मिलता। उसमे वह भगवान की आराधना करता था। एक दिन ,दिनभर का काम करने के बाद वह अपने आराध्य -देव भगवान शंकर का नाम ले रहा था ,तभी भगवान शंकर उसकी प्राथना से प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हुए। भगवान शंकर को अपने सामने प्रकट देखकर गरीब किसान बहुत आचार्यचकित हुआ। 
                       किसान की मन इस्तिति को समझते हुए भगवान शंकर बोले ," आचार्यचकित मत हो गरीब किसान। मै तुम्हारी प्राथना से प्रसन्न हूँ। तुम जो चाहो मुझसे वरदान माँग लो। "किसान की खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योकि एक तो उसके देव उसके सामने थे और दूसरी ओर वे उसे वरदान दे रहे थे। उसने भगवान से कहा ,"हे प्रभु ! अगर आप वास्तव में मेरी प्राथना से प्रसन्न हुए है ,तो कुछ ऐसा कीजिए ,जिससे मेरी गरीबी दूर हो जाए। " भगवान ने कहा "तथास्तु ".ऐसा कहने के बाद वहाँ एक मुर्गी आ गई। भगवान ने कहा ," हे गरीब किसान यह मुर्गी प्रतिदिन एक सोने का अंडा देगी। उस अंडे को बेच देना। इस प्रकार रोज ही यही कर्म चलेगा और धीरे -धीरे तुम अमीर बन जाओगे। "ऐसा कहकर भगवान अंतर्ध्यान हो गए। 
                                                 किसान मुर्गी लेकर बहुत प्रस्सन हुआ। उसने अपने सारे परिवार को भगवान की बात बताई। सभी परिवार के सदस्य इस बात को सुनकर बहुत खुश हुए। दूसरे दिन मुर्गी ने सुबह एक सोने का अंडा दिया। सोने का अंडा देखकर सारे परिवार में खुशी की लहर छा गई। किसान ने अंडा लिया और उसे बाजार में बेचने चला गया। धीरे -धीरे किसान का रोज यही नियम हो गया। मुर्गी प्रतिदिन सोने का एक अंडा देती और वह उसे बेच देता। अब उसके दिन फिरने लगे। वह धनवान बन गया। उसके घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। उसने एक बड़ा -सा मकान बनवाया। घर में बहुत से नौकर -चाकर थे। बच्चो को अच्छी शिक्षा के लिए बाहर भेजा। इन सब अच्छी आदतों के साथ एक बुरी बात भी हुई -किसान अब बहुत आलसी हो गया था। काम करना तो दूर अब वह भगवान का नाम भी नहीं लेता था। 
                                                                                               सारा दिन खाता -पीता और आराम करता था। किसान की इस आदत से उसकी पत्नी बहुत परेशान रहती। वह उसको बार -बार समझाती ,"अगर किसी दिन ये मुर्गी कही चली गई तो तुम किया करोगे ? तुम मेहनत से जी मत चुराओ। "परंतु किसान अपनी पत्नी की इस बात को अनसुनी कर देता था। भगवान शिवजी भी किसान को इस तरह आलसी बनते देख रहे थे। उन्हें  अपनी गलती पर पश्चाताप हुआ क्योकि इस वरदान के कारण एक मेहनती किसान आलसी बन गया था। 
             दूसरे दिन भगवान शंकर ने एक व्यापारी का रूप धारण किया और किसान के घर के बाहर कुछ दुरी पर बैठ गया। रोज की तरह किसान उस दिन अंडा बेचने जा रहा था। तब व्यापारी बने भगवान शंकर ने किसान से पूछा , "तुम कहाँ जा रहे हो ?"किसान ने कहा ," मै यह सोने का अंडा बेचने जा रहा हूँ। भगवान बोले ,"मै एक व्यापारी हूँ ,तुम चाहो तो अंडा मुझे बेच सकते हो। मै तुम्हे इसका दाम बाजार से मिलने वाले दाम से ज्यादा दूंगा। 

                     व्यापारी की बात सुनकर किसान के मन ही मन सोचने लगा कि यहाँ तो अंडे के ज्यादा मिल रहे है और फिर बाजार जाने की मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। यह सौदा तो फायदे का है। वह अंडा व्यापारी को बेच देता है। व्यापारी उससे अंडा खरीदने के पश्चात पूछता है ,"तुम ये अंडे कहा से लाए हो ?" किसान ने व्यपारी को भगवान शंकर के वरदान वाली सारी बात बता दी। 
                                        किसान की बात सुनकर व्यापारी बने शिवजी बोले ," फिर तो उस मुर्गी के पेट में बहुत सारे अंडे होंगे। तुम उस मुर्गी को एक ही दिन में काटकर उसके सारे अंडे क्यों नहीं निकाल लेते ?" व्यापारी की बात सुनकर किसान के मन में लालच आ गया। उसे व्यापारी का सुझाव बहुत अच्छा लगा। वह जल्दी -जल्दी घर गया। वहा जाकर उसने सारी बात अपनी पत्नी को बताई। किसान ने उसे एक ही दिन में मुर्गी के पेट को काटकर सारे अंडे निकालने के लिए तैयार हो गया। उसने आव देखा न ताव ,एक बड़ी छुरी लेकर मुर्गी का पेट काट डाला। पेट कटते ही मुर्गी मर गयी। परंतु उसके पेट में एक भी अंडा नहीं निकला। 















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