high bled preshr ke lkshn aur nijat pane ke upay
स्वास्थ्य जिस मनुष्य का ठीक नहीं रहता वह कभी जीवन खुल कर जी नहीं पता ,ऐसी ही बीमारी है हाई ब्लेड प्रेशर जो की किसी भी उम्र के व्यत्कि को लग सकती है। आइए ! जाने इसके लक्ष्ण और उपाय।
कभी ऐसा माना जाता था कि उच्च रक्तचाप केवल बुढ़ापे की बीमारी है ,परंतु अब स्थिति तेजी से बदल रही है। 30 साल का युवक भी आज यह कहता सुनाई दे सकता है कि उसे ब्लेड प्रेशर है यानी उसका रक्तचाप सामन्य से अधिक है।
शारीकि किर्या के दौरान अशुद्ध खून पहले दिल के एक भाग से फेफड़ो में प्रवेश करता है ,फिर वहां से शुद्ध होकर दिल में वापस आ जाता है। फिर दिल का दूसरा भाग खून को पंप करके उसे शरीर के बाकी हिस्सों में भेजता है। दिल जब खून को पंप करता है तो यह किर्या एक उचित दबाव के साथ की जाती है। जिससे कि आखिरी छोर पर पहुंचने के बाद भी खून में इतना दाब बना रहा सके कि वह फिर से दिल तक लौट कर आ सके। इस पूरी प्रक्रिया में धमनियों की भित्ति पर जा दाब स्थापित होता है वही रक्तचाप है।
साधारण तौर पर यह दाब 120 होता है जिसे ऊपरी दाब या सिस्टोलिक कहते है। दो बार पंपिग करने के बीच में जो समय होता है उतने समय में दिल आराम कर लेता है यह समय करीब आधा सेकंड का होता है ,इसी दौरान धमनियों पर दाब काफी घट जाता है और लगभग 90 हो जाता है ,इसे निचला दाब या डायस्टोलिक कहते है। यही स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके बढ़ने का मतलब यह होता है कि दिल पर बोझ पड़ रहा है।
जब तक धमनियां एकदम चिकनी और खुली रहती है तब तक खून एक निश्चित और ईस्थर दबाव से बहता रहता है जब तक शरीर की धमनियां व खून की नलिकाए अपने स्वाभाविक रूप में रहती है यानी जब तक ये लचीली रहती है ,इनके छेद खुले रहते है तब तक खून को आगे बढ़ाने के लिए दिल को जरूरत से ज्यादा दबाव डालने की जरूरत नहीं पड़ती रक्त अपनी स्वाभाविक गति से ह्रदय से निकलकर धमनियों और खून की नलिकाओं की ओर से शरीर के हर भाग में पहुँचता रहता है। लेकिन जब धमनियां कठोर और संकरी हो जाती है तो खून शरीर के बाकी हिस्सों में पहुंचाने के लिए दिल को जरूरत से ज्यादा दबाव डालकर उन संकरी और कठोर धमनियों में खून को धकेलना पड़ता है।
साधारण तौर पर उच्च रक्तचाप का कोई लक्ष्ण नहीं होता है और व्यक्ति को काफी समय तक इसका पता ही नहीं चलता है ,लेकिन बाद में अनेक लक्षण सामने आने लगते है
लक्षण >>>सिर दर्द ,चककर आना ,शिथिलता ,साँस में परेशानी ,नींद न आना ,जरा सी मेहनत करने पर सांस फूलना ,नाक से खून निकलना ,चिंता करना ,क्रोध करना ,ईष्र्या करना ,भयभीत होना आदि है।
बचाव >>>चोकर युक्त मोटे आटे की रोटी ,छिलके समेत फल और
सब्जियां ,पालक ,मेथी ,बथवा ,तुरई ,लौकी ,पैठा ,नीबू आदि को हम अपने रोजाना के भोजन में शामिल कर ले तो हम उच्च रक्तचाप के

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साथ -साथ अन्य बीमारियों से भी मुक्त रह सकते है।

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खाने -पीने की अच्छी आदतों के साथ साथ यदि हम अपनी रोजाना की दिनचर्या पर भी ध्यान दे जैसे -रात में जल्दी सोना ,सुबह जल्दी उठना ,सुबह के समय बिना कुल्ला किए एक लीटर तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना ,पूरी तरह भूख लगने पर ही खाना ,भूख से थोड़ा कम खाना ,खाना खाते समय पानी न पीना व दो घंटे के बाद दो गिलास पानी पीना खाने को अच्छी तरह से चबा -चबा कर खाना ,दिन में न सोना ,शांत सहज और खुश रहना ,रोजाना नियमित करना ,टहलना ,दौड़ना आदि से सारे नहीं तो कुछ को अपने व्यवहार में लाकर भी उच्च रक्तचाप की परेशानी से छुटकारा पा सकते है।
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