Raja vikramaditya ki khani

भारत -भूमि पर अनेक महापुरषो ने जन्म लिया है। राजा विक्रमादित्य ऐसे ही एक महापुरुष थे। 

राजा विक्रमादित्य न्याय के लिए प्रसिद्ध थे। वे भारत के उन सम्राटो में गिने जाते है ,जिनकी न्यायप्रियता की कहानियाँ आज भी सुनाई जाती है। उन्ही के समय से विक्रमी संवत चला आ रहा है। वे अपनी प्रजा की भलाई के लिए सदा प्रयत्नशील रहते थे। रात के समय वेष बदलकर वे नगर में घुमा करते थे। इसलिए कि वे स्वयं जाकर देख सके कि कोई दुखी तो नहीं है। 
     एक दिन सम्राट घूमने निकले। रात आधी से अधिक बीत चुकी थी। सम्राट साधारण वस्त्र में घोड़े पर सवार होकर चल पड़े। साथ में मंत्री थे। चांदनी रात थी। प्रजा सुख की नींद सो रही थी। सम्राट घूमते -घमते नगर से बाहर निकल गए। घोड़े से उतरकर टहलने लगे। मंत्री कुछ रह गए। घोडा साथ वाले खेत में चला गया। खेत में ईख लहलहा रही थी। अचानक शब्द हुआ ,"कौन है ?" इतने में एक किसान सामने आ खड़ा हुआ। वह रात के इस पिछले पहर में सम्राट को पहचान नहीं सका। कहने लगा ,"तुम कौन हो ? क्या यह घोडा तुम्हारा है ?इसने मेरे सात पेड़ रोद डालें है। क्या तुम जानते हो ,सम्राट विक्रमादित्य के राज्य में इसका क्या दंड है ?
सम्राट पहले तो मुस्कराए ,फिर बोले ,"नहीं जानता। "किसान ने क्रोध में आकर कहा ,"नंगी पीठ पर सात कोड़े। "सम्राट के चेहरे पर एक चमक -सी आ गयी। उन्होंने अपने वस्त्र उतार दिए और दंड भुगतने के लिए किसान के सामने बैठ गए। कोड़े पड़ने लगे एक दो तीन चार पांच। सम्राट ने सी तक न की। इतने में किसी ने पुकारा महाराज यह मंत्री की आवाज थी। सम्राट को ढूढ़ते हुए वह वही आ पहुंचे थे। उन्होंने सम्राट की यह दशा देखी तो संतभीत रह गए। किसान भय से काँप उठा। उसने कोड़े मारने बंद कर दिए। सम्राट ने कहा ,"किसान ,मेरी सजा पूरी करो ,दो कोड़े बाकी रहते है। इसी प्रकार कोड़े लगाना। यदि जरा भी ढील की तो कड़े -से -कड़ा दंड मिलेगा। "कोड़े फिर पड़ने लगे। दो कोड़े पड़े। इसके पशचात किसान सम्राट के चरणों में गिर पड़ा। वह फूट -फूटकर रोने लगा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे ?
 सम्राट ने किसान से कहा ,"हमे खुशी है कि तुमने राज्य के कानून का पालन करने में हमारी सहायता की है। "

Comments

Popular posts from this blog

Maa baap ki seva hi asli dhrm hai

keya aap ko lgta hai ki sbka malik ek hai

School mujhe acha lga