Schi bhgti kro
सच्ची भगती मन से करनी चाहिए। आपका मन अच्छा होना चाहिए। इस सच्ची भगती का इतिहास भी गवहा है।
आज से कई वर्षो पहले भारत में महाभारत हुई थी। तब द्रोपती ने श्री कृष्ण की भगती की थी। जब द्रोपती का चीर हरण हुआ था तब द्रोपती ने अपने मन -ही -मन भगवान श्री कृष्ण को याद किया था और तुरंत श्री कृष्ण ने द्रोपती की पुकार सुनी और द्रोपती जी की बीच सभा में इज्जत बचाई। जबकि पूरी सभा लगी हुई थी ,उनमे से कोई भी नहीं बोल पा रहा था। श्री कृष्ण भगवान सिर्फ द्रोपती जी को ही दिखाई दे रहे थे। पूरी सभा को श्री कृष्ण भगवान नहीं दिख रहे थे। सब लोग आश्चर्यचकित हो गए थे क्योकि द्रोपती जी की साड़ी इतनी लम्बी हो गयी थी कि दुशासन भी थक गया था साड़ी उतारते उतारते लेकिन द्रोपती जी अपने मन में अपने भगवान श्री कृष्ण को याद कर रही थी,और भगवान श्री कृष्ण अपनी शक्ति से द्रोपती की साड़ी बढाए जा रहे थे। इस तरह द्रोपती जी ने श्री कृष्ण भगवान की पूजा की और उनकी पूरा विशवास था अपने भगवान पर आज भी भारत के अंदर इस बात की चर्चा होती है। श्री कृष्ण भगवान ने सही समय पर आकर अपने भगत की रक्षा की।
उसके बाद नंबर आता है प्रह्लाद का उसके पिता ने कहा था की मै ही तुम्हारा भगवान हूँ तुम मेरी ही पूजा करा करो ,लेकिन प्रह्लाद भगत नहीं माना उसने अपने पिता से कहा नहीं पिताजी इस धरती पर भगवान भी है और मै उसी भगवान का नाम लूँगा। उसके पिता को क्रोध आ गया उसने गुस्से में पूछा कहा है तुम्हारा भगवान तब प्रह्लाद भगत ने कहा अपने नीचे देखो ये जो चींटी चल रही है इन्हे भी हमारा भगवान चला रहा है। उसके पिता को क्रोध आ गया और प्रह्लाद भगत को एक खम्बे से बांध दिया। तब भी वह छोटा बालक अपने मन -ही -मन अपने उस ईश्वर को याद करने लगा जिसने इस धरती को रचा है। एक दिन प्रह्लाद भगत की बुआ से प्रह्लाद भगत के पिता बोले की आप इसे लेकर फुस पर बैठ जाओ और मै फुस में आग लगा दूंगा जिससे ये तो मर जायगा और आप बच जाओगी। उसकी बुआ ने ऐसा ही किया वो प्रह्लाद भगत को अपनी गोद में बैठाकर फुस के ऊपर बैठ गयी चादर ओढ़कर प्रह्लाद भगत के पिता ने उस फुस में आग लगा दी और प्रह्लाद को मरते हुए देखना चाहता था लेकिन प्रह्लाद भगत अपने मन में अपने भगवान को याद करने लगा। उसकी बुआ को आग लग गयी लेकिन प्रह्लाद भगत को कुछ भी नहीं हुआ। उसकी बुआ जोर -जोर से चिलायी लेकिन प्रह्लाद भगत तो अपने भगवान के नाम में मगन थे ,उनकी बुआ जलकर राख हो गयी। फिर उसके पिता ने प्रह्लाद भगत को बहुत ऊंची पहाड़ी से नीचे भी गिराया लेकिन प्रह्लाद भगत को कुछ भी नहीं हुआ था।
इसलिए कहते है कि जब भी आप पूजा करो किसी भी भगवान की तो सबसे पहले अपने मन को शांत कीजिये उसके बाद ही पूजा करनी चाहिए। क्योकि हमारा भगवान सब के मन की बात जनता है। कभी -भी जानकर किसी भी व्यक्ति का बुरा मत करो।इसलिए कहते है कि पूजा भी मन को शांत करती है।
Comments