Subash chnder bos ke udbodhn
प्रस्तुत कहानी में सुभाष बाबू के टोकियो रेडियो से प्रथम प्रसारण ,आजाद हिन्द फौज के पुर्नगठन तथा आजाद हिन्द फौज की मान्यता मिलने के अवसर पर उनके द्वारा दिए गए सम्बोधन के महत्वूर्ण अंश दिए गए है।
सुभाषचंद्र बोस सच्चे देशभगत थे। उनका केवल एक ही लक्ष्य था --भारत से अंग्रेजो को निकाल बाहर करना और अपने देश वासियो की गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर स्वाधीनता का उपहार देना।
सुभाषचंद्र बोस "नेता जी "के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होंने बर्मा ,( म्यांमार )जापान आदि देशो में रहने वाले भारतीयों को एकत्र कर ' आजाद हिन्द फौज ' की स्थापना की ,आजादी का बिगुल फूंका। उन्होंने विभिन्न अवसरों पर अपने ओजस्वी भाषणों के द्वारा लोगो को प्रेरणा प्रदान की और संघर्ष करने का आह्वान किया।
21 जून सन 1943 ई० को टोकियो रेडियो से प्रथम प्रसारण -
"व्यक्ति आते है और चले जाते है ,साम्राज्य बनते और बिगड़ते है। बिर्टिश साम्राज्य को सदैव के लिए जाना होगा। हमारी स्वंत्रता किसी प्रकार का भी समझौता नहीं चाहती है। हमे स्वंत्रता तब ही प्राप्त होगी ,जब ब्रिटिश और उसके समर्थक भारत के भले के लिए भारत को छोड़ देंगे। जो वास्तव में हमारी आजादी चाहते है ,उन्हें लड़ना चाहिए। इसके लिए उन्हें अपना रक्त भी देना होगा। ......... देशवासियो और मित्रो ,आइए हम स्वंत्रता के लिए संघर्ष करे ,भारत की सीमाओं के अन्दर और बाहर अपनी पूरी ताकत के साथ। हमे तब तक जंग जारी रखनी है ,जब तक बिर्टिश साम्राज्य नष्ट नहीं हो जाता है ,इसकी राख भारत से बाहर नहीं चली जाती है। इसके पश्चात ही एक स्वंत्रत प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्र बनेगा। "
आजाद हिन्द फौज के पुनर्गठन के अवसर पर -
भारत की मुक्तिवाहिनी के सैनिको !भारत की आजादी के लिए आज से मैंने इस फौज का सर्वोच्च नेतृत्व ग्रहण कर लिया है और यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता एवं गर्व की बात है। किसी भी भारतीय के लिए इससे बढ़कर और कोई भी सम्मान नहीं हो सकता कि वह भारत को स्वंत्रत करने वाली फौज का सेनापति हो। परमात्मा से प्राथना है कि वह हर हालत में मुझे इस जिम्मेदारी को वहन करने की पूरी शक्ति दे। मै अपने 38 करोड़ भारतवासियो का एक तुच्छ सेवक समझता हूँ। मै भारतीयों के हितो को अपने हाथो में सुरक्षित रखते हुए अपने कर्तव्य को पूरा करुँगा। देश में पूर्ण स्वंतत्रता स्थापित करने के लिए स्थायी सेना का निर्माण करना है ,जो भारत में प्रत्येक व्यक्ति की स्वंत्रता की गारण्टी करेगी और यह कार्य आजाद हिन्द फौज को ही करना है। हमारा एक ही नारा है और एक ही लक्ष्य है -वह है ,भारत की आजादी और उसके लिए करो या मरो की भावना। 38 करोड़ जनता को ,जो संसार की आबादी का पाँचवा भाग है ,अधिकार है कि वह आजाद हो और आज जब वे आजादी का मूल्य चुकाने के लिए तैयार है ,तब इस पृथ्वी पर कोई ऐसी शक्ति नहीं ,जो हमारी आजादी के जन्मसिद्ध अधिकार को रोक सके।
साथियो ! अफसरों नागरिको !आपकी निरन्तर अटूट भक्ति ही भारत को स्वंत्रत कराने में आजाद हिन्द फौज का अपना साधन बना सकेगी। हमारी विजय निशिचित है।
"दिल्ली चलो और इस दृढ़ भावना के साथ चलो कि हम वाइसराय -भवन पर तिरंगा झण्डा फहराकर लाल किले परेड करेंगे। "
आजाद हिन्द फौज की मान्यता मिलने पर -
"मेरा पहला स्वपन था अपनी फौज हो ,वह पूरा हो गया है। दूसरा स्वपन "आजाद हिन्द फौज ' की सरकार बनाने का था ,आज सरकार बन चुकी है। अब मेरा तीसरा और अंतिम स्वपन शेष है ,स्वाधीनता प्राप्त कर अंग्रेजों को भारत से निकाल बाहर करने का। "






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