Bhoot ka jngl
इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में हमे शंघर्ष करना चाहिए। क्योकि संघर्ष ही है जो हमारे जीवन को सरल बनता है। कभी -भी मुश्किल समय से नहीं घबराना चाहिए। अपने सच्चे मन से भगवान को याद करे।
एक बार एक गांव में बहुत ही सूखा पड़ गयी थी। उस गांव में सारी फसले नष्ट हो गयी थी। उस गांव में चार मित्र रहते थे। उन चारो में बहुत प्रेम था। वे चारो मित्र आपस में बातचीत कर रहे थे। उन चारो मित्र का नाम राम ,श्याम ,रमेश और दिनेश था। वे चारो मित्र गांव की भलाई सोच रहे थे। राम बोला ! भाई मुझे तो लगता है कि हमारे गांव में बारिश इसलिए नहीं हो रही है कि हमारे गांव में किसी ने ज्यादा पाप कर रखा है। उन्होंने बातचीत से मसला निकला कि पास के गांव में एक मंदिर है। उसमे सारे चलकर पूजा करते है। शायद भगवान हमारी पुकार सुन ले और बारिश कर दे।
राम ,श्याम ,रमेश और दिनेश चारो मित्रो ने एक बैलगाड़ी ली और दूसरे गांव में पूजा के लिए निकल गए। उन चारो मित्रो ने उस गांव में पहुंचकर मंदिर में पूजा की और वापिस लौटने लगे। उन्हें अपने गांव में वापिस जाने में बहुत अँधेरा हो गया था,रास्ते में एक घना जंगल पड़ता था। जैसे ही वे चारो जंगल से होकर गुजर रहे थे ,तभी जोर -जोर से बारिश होने लगी। वे चारो मित्र आपस में बहुत खुश थे।राम बोला ! देखा श्याम मैंने कहा नहीं था कि मंदिर चलो भगवान से विनती करते है। भगवान ही कठिन समय में हर एक इंसान का साथ देता है। देख लो भगवान ने हमारी पुकार सुन ली। तभी अचानक एक भेड़िया बैलगाड़ी के सामने आ जाता है।
रमेश उसे देखकर घबरा जाता है। वह कहता है देखो भाइयो शायद जंगल में कोई भूत है ,तभी राम बोलता है कि हम तो भगवान की पूजा करके आये है भला हमे कैसे भूत मिल सकता है। दिनेश बोला भाई मुझे तो लगता है कि इस जंगल में शायद कोई भूत जरूर है। फिर से राम बोलता है कि आप भूत -भूत करके और जंगली जानवरो को बुला लोगे। आप सभी शांति बनाए रखे यहाँ कोई भूत -वुत कुछ नहीं है। फिर चारो ने उस भेड़िया को भगा दिया। अभी बैलगाड़ी थोड़ी दूर ही चली थी कि गाड़ी के पहिये के निचे एक पत्थर आ गया। वे चारो घबरा गए। सभी एक साथ बोले हे भगवान बच गए। राम बोला ! अरे ' भाई यह तो पत्थर था जो कि बैलगाड़ी के पहिये नीचे आ गया था। आप सब तो घबरा गए और मुझे भी डरा दिया। इतने में पहाड़ के ऊपर से एक पत्थर लुढ़कता हुआ उनकी गाड़ी में गिर गया। श्याम बोला भाई मुझे लगता है कि आज तो हम चराओ में से किसी एक की मोत तो निश्चित है। क्योकि बार -बार घटना होना इसी बात का संकेत है। इतने में बिजली कड़कड़ाने लगी। बिजली कभी गाड़ी के आगे गिरती कभी गाड़ी के पीछे। वे चारो आपस में बाते करने लगे और सोचने लगे की हम इस समाधान का कैसे निवारण करे की हम से किसकी मौत है।
उन चारो ने एक फैसला किया की गाड़ी के थोड़ी -दूर एक आम का पेड़ था। बारी -बारी से उतरकर उस पेड़ के पास जायेगा। जिसके ऊपर बिजली पड़नी होगी उस पेड़ पास जो भी व्यक्ति जायेगा उस पर बिजली पड़ जाएगी। अब सबसे पहला नंबर दिनेश का आ गया वह बैलगाड़ी से नीचे उतरा और भगवान से विनती करने लगा हे भगवान मुझे बक्स दो मै तुम्हारे मंदिर में 100 रूपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा। मैने कभी -भी जीवन में बुरे काम नहीं किये। वह पेड़ के हाथ लगाकर वापस गाड़ी में बैठ गया।
अब की बार श्याम की बारी आयी। श्याम ने दिनेश से पूछा की आप ने भगवान से किया कहा दिनेश ने कहा मैने तो भगवान से विनती कि हे भगवान अगर मुझे जीवनदान दो मै मंदिर में 100 रूपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा। श्याम भी भगवान को मन -मन ही याद करने लगा और बोला भगवान मै 200 रूपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा। श्याम भी पेड़ के हाथ लगाकर वापस आ गया।
अब रमेश का नंबर आ गया और वह भी भगवान से विनती करने लगा की हे भगवान अगर मुझे जीवन दान मिल गया तो मै मंदिर में 500 रूपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा। वह भी पेड़ के हाथ लगाकर वापिस बैलगाड़ी में बैठ गया। अंतिम में नंबर राम का आ गया। वे तीनो खुश थे। वे सोच रहे थे कि अब तो राम ही मरेगा उसके ऊपर ही बिजली गिरेगी। राम बैलगाड़ी से निचे उतरा और ऊपर को देखकर अपने दोनों हाथ जोड़कर अपने मन में भगवान को याद करने लगा और बोला हे भगवान मैने तो कभी -भी जीवन में किसी का बुरा नहीं किया। सदा ही मेहनत करके खाया। चलो भगवान अगर आप की यही इच्छा है कि मेरे ऊपर ही बिजली गिरानी है ,तो गिरा दो लेकिन मेरे बच्चो का ध्यान रखना। इतने में ही बिजली गिरी लेकिन राम पर नहीं उन तीनो के ऊपर देखा बस एक के चकर में उन तीनो की मौत हो गयी। राम ही एक ऐसा व्यक्ति था जिस कारण वे तीनो अब तक बचे हुए थे। राम ये सब देखकर बहुत ही दुखी हुआ और भगवान से विनती करने लगा कि अगर मैने जीवन में कोई नेक काम किया है तो मेरे तीनो मित्रो को भी जीवनदान दे दो भगवान। इतना राम के कहते ही वे तीनो फिर से जीवित हो गए और अपने दोनों हाथ जोड़कर राम से अपनी गलती मांगने लगे।
अब वे चारो मित्र गांव पहुंच गए। गांव में जाकर देखा कि फसलों में फिर से जान आ गयी और उस साल अच्छी पैदावार हुई। तीनों मित्रो ने अपने मित्र को अपनी फसलों में से आधा हिस्सा राम दो दिया। जिसकी वजह से उन्हें जीवनदान मिला था। राम ने वो हिस्सा गरीब किसानो में बाँट दिया।
अब वे चारो ख़ुशी -ख़ुशी रहने लगे।
अब की बार श्याम की बारी आयी। श्याम ने दिनेश से पूछा की आप ने भगवान से किया कहा दिनेश ने कहा मैने तो भगवान से विनती कि हे भगवान अगर मुझे जीवनदान दो मै मंदिर में 100 रूपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा। श्याम भी भगवान को मन -मन ही याद करने लगा और बोला भगवान मै 200 रूपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा। श्याम भी पेड़ के हाथ लगाकर वापस आ गया।
अब रमेश का नंबर आ गया और वह भी भगवान से विनती करने लगा की हे भगवान अगर मुझे जीवन दान मिल गया तो मै मंदिर में 500 रूपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा। वह भी पेड़ के हाथ लगाकर वापिस बैलगाड़ी में बैठ गया। अंतिम में नंबर राम का आ गया। वे तीनो खुश थे। वे सोच रहे थे कि अब तो राम ही मरेगा उसके ऊपर ही बिजली गिरेगी। राम बैलगाड़ी से निचे उतरा और ऊपर को देखकर अपने दोनों हाथ जोड़कर अपने मन में भगवान को याद करने लगा और बोला हे भगवान मैने तो कभी -भी जीवन में किसी का बुरा नहीं किया। सदा ही मेहनत करके खाया। चलो भगवान अगर आप की यही इच्छा है कि मेरे ऊपर ही बिजली गिरानी है ,तो गिरा दो लेकिन मेरे बच्चो का ध्यान रखना। इतने में ही बिजली गिरी लेकिन राम पर नहीं उन तीनो के ऊपर देखा बस एक के चकर में उन तीनो की मौत हो गयी। राम ही एक ऐसा व्यक्ति था जिस कारण वे तीनो अब तक बचे हुए थे। राम ये सब देखकर बहुत ही दुखी हुआ और भगवान से विनती करने लगा कि अगर मैने जीवन में कोई नेक काम किया है तो मेरे तीनो मित्रो को भी जीवनदान दे दो भगवान। इतना राम के कहते ही वे तीनो फिर से जीवित हो गए और अपने दोनों हाथ जोड़कर राम से अपनी गलती मांगने लगे।
अब वे चारो मित्र गांव पहुंच गए। गांव में जाकर देखा कि फसलों में फिर से जान आ गयी और उस साल अच्छी पैदावार हुई। तीनों मित्रो ने अपने मित्र को अपनी फसलों में से आधा हिस्सा राम दो दिया। जिसकी वजह से उन्हें जीवनदान मिला था। राम ने वो हिस्सा गरीब किसानो में बाँट दिया।
अब वे चारो ख़ुशी -ख़ुशी रहने लगे।
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