Lalch ka fl bura hota hai .
एक बार की बात है एक गरीब लड़का था। लड़के का नाम रमेश था। रमेश बहुत ही ईमानदार था व ईमानदार भी था। रमेश के पास पैसे नहीं थे उस ने सोचा जंगल में जाकर कुछ जड़ी -बूटी इकठा करके बाजार में बेचकर कुछ और व्यसाय करूंगा। वह जंगल में घूम रहा था ,घूमते -घूमते उसे बहुत जोर की पियास लगी तो वह कुँए के पास पहुंचा। जैसे -ही कुँए के पास पहुंचा तो उसे कुँए उसमे से हमे बचाओ हमे बचाओ की आवाजे आने लगी।
रमेश ने कुँए में झाका तो उसमे एक सुनार और एक शॉप और एक बंदर व एक शेर वे सभी मदद के लिए चिला रहे थे। रमेश को देखकर बोले भईया हमारी मदद करो। सारे आपस में झगड़ा करने लगे और पहले मुझे निकालो पहले मुझे निकालो बोलने लगे। रमेश बोला पहले मै पानी पीना चाहता हूँ। जब किसी की मदद करूंगा। रमेश ने कुँए में एक बाल्टी डाली और बोला पहले इसे भरो शेर ने वह बाल्टी भर दी। रमेश ने बाल्टी ऊपर को खींचकर पानी पी लिया। अब रमेश ने एक रस्सी कुँए में डाली और बोला जिसने मेरी मदद बाल्टी भरी थी वही सबसे पहले बाहर निकला। शेर ने रस्सी पकड़ ली और रमेश ने रस्सी को खींचकर शेर को बाहर निकाल दिया और रमेश से बोला धन्यवाद दोस्त जीवन में कभी -भी मेरी आवश्यकता हो तो मुझे याद कर लेना। लेकिन इस सुनार की मदद मत करना ये बहुत बुरा व्यक्ति है। फिर शेर जंगल में चला गया। इसके बाद रमेश ने शाप को बाहर निकला वह भी शेर की तरह बोलकर जंगल में चला गया। शेर के बाद बंदर को बाहर निकला बंदर भी उन्ही की तरह बोलकर जंगल में चला गया। अब आखिर में सुनार की बारी आ गयी निकलने के लिए। रमेश ने उसे भी बाहर निकाल दिया। सुनार बाहर आते ही रमेश से बोला धन्यवाद मित्र तुमने मेरी मदद करी जब कभी तुझे कोई परेशानी हो तो मुझे याद कर लेना में तुम्हारी मदद जरूर करूंगा। वह भी ये सब बोलकर चला गया। अब रमेश को 5 महीने से कोई जड़ी -बूटी नहीं मिल पा रही थी। रमेश अचानक उस कुँए के पास पहुंचा और जैसे ही उसने उस कुँए से पानी पीया उसे वे तीनो मित्र याद आ गए। सबसे पहले उसने बंदर को आवाज लगाई। रमेश की आवाज सुनकर बंदर तुरंत रमेश के पास पहुंच गया। रमेश को देखकर बहुत खुश हुआ। रमेश से बोला बोलो मित्र कैसे याद किया। रमेश बोला मित्र मुझे बहुत जोर की भूख लगी है कृपया कुछ खाने को मिलेगा। बंदर ने बोला मै अभी तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाता हूँ। बंदर थोड़ी देर में बहुत सारे फल रमेश को लाकर दे दिए। रमेश ने उन्हें खाकर अपनी भूख मिटा ली। रमेश से बंदर बोला मित्र तुम क्यों परेशान हो तो रमेश ने अपनी कहानी बताई। बंदर बोला तुम शेर के पास जा ओ वह जंगल का राजा है वह तुम्हारी जरूर मदद करेगा। रमेश और बंदर शेर की गुफा के पास पहुंचे और शेर को आवाज लगाने लगे। तभी शेर गुफा से बाहर निकला और रमेश को देखकर बहुत खुश हुआ और बोला मित्र कैसे हो ओर कैसे आना हुआ। बंदर ने शेर को रमेश की सारी कहानी बताई शेर कहानी सुनकर अपनी गुफा के अंदर पहुंचा। गुफा में से बहुत सरे सोने के जेवर निकालकर लाया और रमेश से बोला मित्र इन्हे बेचकर कुछ व्यवसाय करो। अब रमेश बहुत खुश था। रमेश को फिर उस सुनार की याद आयी। रमेश सुनार के पास पहुंचा और बोला सुनार जी मुझे ये जेवर बेचने है इन्हे बेचकर में कुछ व्यसाय करना चाहता हूँ। मुझे ये बहुत सारे जेवर शेर ने दिए है। सुनार को लालच आ गया और वह सोचने लगा की राजा का पुत्र भी कई दिनों से नहीं आया है मुझे लगता है की यही कातिल है राजा के पुत्र का उसने झूठ कहा था की रमेश मित्र तुम यही बैठो मै इन जेवरों को चेक करवा लाता हूँ।
सुनार तुरंत राजा के महल में पहुंचकर बोला राजा साहब ये जेवर आपके पुत्र के है। तुम्हारे पुत्र का कातिल इन्हे मेरे पास बेचने के लिए आया है। राजा को बहुत गुस्सा आया और सिपाहियों को भेजकर रमेश को पकड़वा लिया। रमेश को सिपाहियों ने कैदखाने में बंद कर दिया। रमेश बैठकर रो रहा था और उन जानवरो की बात याद कर रहा था। उन जंगली जानवरो ने मुझे समझाया था कि सुनार ठीक व्यक्ति नहीं है इतने में उसे शाप की बात याद आयी। उसने धीरे -धीरे शाप को आवाज लगाई शाप रमेश की आवाज सुनकर तुरंत कैदखाने में आ गया रमेश को देखकर बोला मित्र यहाँ कैसे फस गए। रमेश ने शाप को अपनी सारी कहानी बताई। शाप बोला मित्र घबराने की जरूरत नहीं है मै आ गया हूँ ना सब कुछ ठीक कर दूंगा। शाप रमेश से बोला मै जाकर रानी को डस लेता हूँ। जब तक तुम खुद अपना हाथ रानी के सिर पर नहीं फेरोगे तब तक रानी ठीक नहीं होगी। चाहे दुनिया का कोई भी वैद अपनी दवाई कर ले। इतना बोलकर शाप रानी के महल में पहुंच जाता है और रानी को डस लेता है। राजा सभी वेदो से खूब इलाज करवाता है रानी का लेकिन रानी की तबियत पर कोई खास असर नहीं होता है। तभी राजा महल के अंदर ये एलान करता है कि जो भी रानी को ठीक करेगा उसे मै आधा महल और सौ सोने के सिक्के दूंगा। कैदखाने में बंद रमेश एक सिपाही से बोलता है कि मै रानी को ठीक कर सकता हूँ। सिपाही ये बात राजा को बताते है राजा ने रमेश को बाहर निकलवाकर रानी के पास ले जाता है। रमेश रानी के सिर पर हाथ फेरता है तो अचानक रानी ठीक हो जाती है। राजा रमेश से बोलते है कि ये सब कैसे हो गया तुम तो बहुत अच्छे व्यक्ति हो तुम मेरे पुत्र के कातिल नहीं हो सकते। रमेश ने अपनी सारी कथा सुनाई। रमेश की बाते सुनकर राजा ने सुनार को बुलवाकर कैदखाने में डाल दिया। रमेश को आधा महल और सौ सोने के सिक्के दिए।
रमेश ने कुँए में झाका तो उसमे एक सुनार और एक शॉप और एक बंदर व एक शेर वे सभी मदद के लिए चिला रहे थे। रमेश को देखकर बोले भईया हमारी मदद करो। सारे आपस में झगड़ा करने लगे और पहले मुझे निकालो पहले मुझे निकालो बोलने लगे। रमेश बोला पहले मै पानी पीना चाहता हूँ। जब किसी की मदद करूंगा। रमेश ने कुँए में एक बाल्टी डाली और बोला पहले इसे भरो शेर ने वह बाल्टी भर दी। रमेश ने बाल्टी ऊपर को खींचकर पानी पी लिया। अब रमेश ने एक रस्सी कुँए में डाली और बोला जिसने मेरी मदद बाल्टी भरी थी वही सबसे पहले बाहर निकला। शेर ने रस्सी पकड़ ली और रमेश ने रस्सी को खींचकर शेर को बाहर निकाल दिया और रमेश से बोला धन्यवाद दोस्त जीवन में कभी -भी मेरी आवश्यकता हो तो मुझे याद कर लेना। लेकिन इस सुनार की मदद मत करना ये बहुत बुरा व्यक्ति है। फिर शेर जंगल में चला गया। इसके बाद रमेश ने शाप को बाहर निकला वह भी शेर की तरह बोलकर जंगल में चला गया। शेर के बाद बंदर को बाहर निकला बंदर भी उन्ही की तरह बोलकर जंगल में चला गया। अब आखिर में सुनार की बारी आ गयी निकलने के लिए। रमेश ने उसे भी बाहर निकाल दिया। सुनार बाहर आते ही रमेश से बोला धन्यवाद मित्र तुमने मेरी मदद करी जब कभी तुझे कोई परेशानी हो तो मुझे याद कर लेना में तुम्हारी मदद जरूर करूंगा। वह भी ये सब बोलकर चला गया। अब रमेश को 5 महीने से कोई जड़ी -बूटी नहीं मिल पा रही थी। रमेश अचानक उस कुँए के पास पहुंचा और जैसे ही उसने उस कुँए से पानी पीया उसे वे तीनो मित्र याद आ गए। सबसे पहले उसने बंदर को आवाज लगाई। रमेश की आवाज सुनकर बंदर तुरंत रमेश के पास पहुंच गया। रमेश को देखकर बहुत खुश हुआ। रमेश से बोला बोलो मित्र कैसे याद किया। रमेश बोला मित्र मुझे बहुत जोर की भूख लगी है कृपया कुछ खाने को मिलेगा। बंदर ने बोला मै अभी तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाता हूँ। बंदर थोड़ी देर में बहुत सारे फल रमेश को लाकर दे दिए। रमेश ने उन्हें खाकर अपनी भूख मिटा ली। रमेश से बंदर बोला मित्र तुम क्यों परेशान हो तो रमेश ने अपनी कहानी बताई। बंदर बोला तुम शेर के पास जा ओ वह जंगल का राजा है वह तुम्हारी जरूर मदद करेगा। रमेश और बंदर शेर की गुफा के पास पहुंचे और शेर को आवाज लगाने लगे। तभी शेर गुफा से बाहर निकला और रमेश को देखकर बहुत खुश हुआ और बोला मित्र कैसे हो ओर कैसे आना हुआ। बंदर ने शेर को रमेश की सारी कहानी बताई शेर कहानी सुनकर अपनी गुफा के अंदर पहुंचा। गुफा में से बहुत सरे सोने के जेवर निकालकर लाया और रमेश से बोला मित्र इन्हे बेचकर कुछ व्यवसाय करो। अब रमेश बहुत खुश था। रमेश को फिर उस सुनार की याद आयी। रमेश सुनार के पास पहुंचा और बोला सुनार जी मुझे ये जेवर बेचने है इन्हे बेचकर में कुछ व्यसाय करना चाहता हूँ। मुझे ये बहुत सारे जेवर शेर ने दिए है। सुनार को लालच आ गया और वह सोचने लगा की राजा का पुत्र भी कई दिनों से नहीं आया है मुझे लगता है की यही कातिल है राजा के पुत्र का उसने झूठ कहा था की रमेश मित्र तुम यही बैठो मै इन जेवरों को चेक करवा लाता हूँ।
सुनार तुरंत राजा के महल में पहुंचकर बोला राजा साहब ये जेवर आपके पुत्र के है। तुम्हारे पुत्र का कातिल इन्हे मेरे पास बेचने के लिए आया है। राजा को बहुत गुस्सा आया और सिपाहियों को भेजकर रमेश को पकड़वा लिया। रमेश को सिपाहियों ने कैदखाने में बंद कर दिया। रमेश बैठकर रो रहा था और उन जानवरो की बात याद कर रहा था। उन जंगली जानवरो ने मुझे समझाया था कि सुनार ठीक व्यक्ति नहीं है इतने में उसे शाप की बात याद आयी। उसने धीरे -धीरे शाप को आवाज लगाई शाप रमेश की आवाज सुनकर तुरंत कैदखाने में आ गया रमेश को देखकर बोला मित्र यहाँ कैसे फस गए। रमेश ने शाप को अपनी सारी कहानी बताई। शाप बोला मित्र घबराने की जरूरत नहीं है मै आ गया हूँ ना सब कुछ ठीक कर दूंगा। शाप रमेश से बोला मै जाकर रानी को डस लेता हूँ। जब तक तुम खुद अपना हाथ रानी के सिर पर नहीं फेरोगे तब तक रानी ठीक नहीं होगी। चाहे दुनिया का कोई भी वैद अपनी दवाई कर ले। इतना बोलकर शाप रानी के महल में पहुंच जाता है और रानी को डस लेता है। राजा सभी वेदो से खूब इलाज करवाता है रानी का लेकिन रानी की तबियत पर कोई खास असर नहीं होता है। तभी राजा महल के अंदर ये एलान करता है कि जो भी रानी को ठीक करेगा उसे मै आधा महल और सौ सोने के सिक्के दूंगा। कैदखाने में बंद रमेश एक सिपाही से बोलता है कि मै रानी को ठीक कर सकता हूँ। सिपाही ये बात राजा को बताते है राजा ने रमेश को बाहर निकलवाकर रानी के पास ले जाता है। रमेश रानी के सिर पर हाथ फेरता है तो अचानक रानी ठीक हो जाती है। राजा रमेश से बोलते है कि ये सब कैसे हो गया तुम तो बहुत अच्छे व्यक्ति हो तुम मेरे पुत्र के कातिल नहीं हो सकते। रमेश ने अपनी सारी कथा सुनाई। रमेश की बाते सुनकर राजा ने सुनार को बुलवाकर कैदखाने में डाल दिया। रमेश को आधा महल और सौ सोने के सिक्के दिए।
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