aaram hram hai

विशेष>>>इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है कि हमे जीवन में सदैव महेनती होना चाहिए। कभी आलस नहीं करना चाहिए क्योकि "आराम हराम है। "

बहुत समय पहले एक गांव में एक बहुत धनवान किसान था। किसान को उसके पुरखो से बहुत -से धन सम्पति मिली थी। किसान स्वयं भी बहुत मेहनती था। उसने पुरखो से मिली सम्पति को अपनी मेहनत से चार गुना कर लिया था। 
                किसान के पास बहुत से खेत -खलियान थे ,बहुत -से -बैल थे। एक बड़ी -सी हवेली थी जिसमे बहुत से नौकर -चाकर थे। धीरे -धीरे किसान बूढ़ा हो गया और एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के बाद उसकी जमीन जायदाद उसके एकलौते पुत्र किशन को मिल गयी। 
                             किशन अपने पिताजी से बिलकुल विपरीत स्वभाव का था। जहाँ उसके पिताजी के लिए 'आराम हराम था ' वही किशन के लिए 'काम हराम था 'अर्थात वह बहुत आलसी था। वह कभी भूले से भी खेत -खलियानो पर नहीं जाता था और ना ही पशुओ की देखभाल करता था। 
                                            उसने अपने सारे काम अपने नौकरों पर छोड़ रखे थे। बूढ़े किसान की मृत्यु के बाद शुरू में तो सब कुछ ठीक चलता रहा। परंतु जब नौकरों ने अपने मालिक की लापरवाही देखी तो उन्होंने उसका फायदा उठाना शुरू कर दिया। नौकरों की जब मर्जी होती खेतो पर काम करते ,जब मर्जी न होती तो काम नहीं करते। पशुओ को भी चारा पानी समय पर नहीं देते थे। 
                                                                       धीरे -धीरे खेतो में फसल कम होने लगी। गाय ,भैसो के दूध,घी से होने वाला फायदा भी बहुत कम हो गया था। इतना सब कुछ होने के बाद भी किशन को खेतो और पशुओ की कोई सुध नहीं थी। अब वक्त ऐसा आ गया था कि खेतो में अनाज होना बंद हो गया। सारे खेत सूख गए थे। अनाज के गोदाम ,नौकरो की मेहरबानियों से खाली हो गए। पशुओ ने चारे -पानी के अभाव में दूध देना बंद कर दिया जिससे पशुओ के दूध से होने वाला फायदा भी बिलकुल बंद हो गया। इतना सब कुछ होने के बाद भी किशन नहीं सुधरा। उसकी आर्थिक इस्थ्ती भी बिगड़ने लगी। आखिर नौकरो के भरोसे कब तक घर चलता।  
                                                                                         एक दिन किशन के बचपन का दोस्त राम उसके घर आया। राम एक बहुत ही समझदार इंसान था। किशन के घर आकर उसे ये समझते देर न लगी कि किशन के घर की आर्थिक इस्थिति ठीक नहीं है। यह बात तो वह पहले ही जनता था कि किशन बहुत आलसी है। राम के पूछने पर किशन ने उसे सारी बात बता दी। किशन की बात सुनकर राम समझ गया कि यह सब किशन के आलस्य और लापरवाही का नतीजा है और नौकरो ने मौके का पूरा फायदा उठाया है। 
    राम ने किशन से कहा ," चिंता मत करो। अब मै आ गया हूँ ,सब ठीक हो जाएगा। मै कल फिर आऊंगा और तब तुम्हे ऐसा उपाय बताऊंगा जिससे तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और तुम्हारे दिन फिर से लौट आएंगे। राम की बात सुनकर किशन के चेहरे पर चमक आ गई। वह अगले दिन सुबह से ही अपने मित्र के आने का इंतजार कर रहा था। थोड़ी देर में राम आ गया। राम के आते ही किशन ने बढ़े उतावले होते हुए पूछा ,"मित्र ,जल्दी बताओ वह उपाय क्या है ?"
            अपने मित्र का उतावलापन देखकर राम ने उससे कहा , " मित्र उपाय तो बहुत सरल है ,परंतु तुम्हे वो नियम से करना पड़ेगा। "किशन ने कहा ,"तुम उपाय तो बताओ। तुम जैसा कहोगे मै वैसा ही करुँगा। "राम ने कहा "मित्र तुम्हारे खेत के पास जो तालाब है वहाँ रोज सूर्योदय से पहले एक श्रवण हंस के दर्शन कर लोगे तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और पहले की तरह धनवान बन जाओगे। "राम की बात सुनकर किशन बोला ,"यह तो बहुत सरल उपाय है। मै इसे अवश्य करुँगा। " राम बोला , " किशन लेकिन ये बात ध्यान रखना कि नियम नहीं टूटे। 
                           जब तक श्रवण हंस के दर्शन नहीं हो जाते तुम्हे प्रतिदिन सूर्योदय से पहले तालाब पर जाना होगा। मै एक महीने बाद फिर आऊंगा। "इतना कहकर राम चला गया। उस दिन किशन पूरी रात सो नहीं सका सुबह वह चार बजे उठकर श्रवण हंस के दर्शन के लिए निकल गया। वो बहुत दूर -दूर तालाब के एक किनारे से दूसरे किनारे तक गया लेकिन उसे श्रवण हंस के दर्शन ही नहीं हुए। 
                                             वह निराश होकर वापस लौट रहा था ,तभी उसके मन में विचार आया ,"मेरा खेत रास्ते में ही है। क्यों न आज खेत पर चला जायें। " ऐसा मन में विचार कर वह खेत की ओर चल दिया। खेत पर जाकर उसने देखा ,उसके सारे नौकर कितने लापरवाह हो गए थे ? अचानक मालिक के खेत पर आने से नौकर भी हड़बड़ा गए जल्दी -जल्दी वे अपने काम में लग गए। किशन ने उस दिन नौकरो से कुछ नहीं कहा। 
                                                                  अगले दिन किशन फिर श्रवण हंस के दर्शन के लिए गया और लौटते हुए खेतो पर गया। उस दिन भी वही हुआ जो पहले दिन हुआ था। किशन समझ गया ये सब उसके निकम्मे और आलसीपन का नतीजा है बिना बात के नौकरो को डाँटने से क्या फायदा। अब तो किशन का रोज का नियम बन गया पहले तालाब और फिर खेत पर जाना। अपने मालिक की चुस्ती -फुर्ती और रोज खेत पर आने से अब नौकर भी सावधान हो गए थे। वे सब अपना काम ध्यान से करने लगे। 
    रोज सूर्योदय से पहले घूमने से किशन का स्वास्थ्य भी अच्छा होने लगा। उसके अन्दर चुस्ती -फुर्ती आ गई। उसका काम में भी मन लगने लगा। उस उसे आर्थिक लाभ भी होने लगा। उसकी आर्थिक इस्तिति सुधरने लगी थी। धीरे -धीरे वह पहले की तरह धनवान बन गया। कुछ महीने बाद राम वापस अपने मित्र से मिलने आया। किशन ने कहा , " मित्र  तुम्हारी कही गई बात का मतलब मुझे समझ में आ गया। तुमने श्रवण हंस का लालच देकर मेरे निकम्मे और आलसीपन को दूर किया है। तुमने तो मेरा जीवन ही बदल दिया है। अब मै सफल और सुखी जीवन का मूल -मंत्र जान चूका हूँ। 

 

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