Mhapursho ki bate
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अनेक घटनाएँ घटती है किंतु कुछ घटनाएँ हमे प्रेरणा प्रदान करती है। यहाँ ऐसी ही प्रेरक घटनाओ की कहानी है -
(1 ) मितव्ययिता
महात्मा गाँधी प्रतिदिन हर एक प्रकार के व्यय का हिसाब -किताब रखते थे। वे खर्च नपा -तुला करते थे ,यानी मितव्ययी थे। हिसाब -किताब में बस -यात्रा तथा डाक टिकट का खर्चा भी लिखते थे और सोने से पहले रोकड़ मिला लेते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा -"मेरी वह आदत अंत तक कायम रही। मै समझता हूँ कि इसी कारण सार्वजिनक जीवन में मेरे हाथो से लाखो रुपयों का उलट -फेर होने पर भी मै मुनासिब बचत कर सका। मेरी देख -रेख में जितने आंदोलन चले है ,उनमे कभी मैंने कर्ज नहीं किया ,बल्कि एक में जमा किया और कुछ -न -कुछ बचाता ही रहा हूँ। "
गाँधी जी ने युवको को सीख देते हुए कहा -" यदि मिलने वाले थोड़े रुपयों का भी हिसाब -किताब सावधानी से रखे ,तो उसका लाभ जैसे मुझे और भविष्य में जनता को मिला ,वैसा उन्हें भी मिलेगा। "
(2 ) सादगी और संयम
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ ० राजेंद्र प्रसाद सदगीप्रिय और मितव्ययी व्यक्ति थे। वे महान स्वत्रंता सेनानी भी थे। राष्ट्रपति जैसे उच्च पद पर पहुंचकर भी उन्होंने कभी गर्व नहीं किया। राष्ट्रपति का वेतन दस हजार रूपये मासिक निर्धारित होते हुए भी कभी उन्होंने पूरा वेतन नहीं लिया। वे वेतन का बहुत कम अंश लेते थे। एक बार उनके मित्र ने पूछा -"बाबू जी , आप पूरा वेतन क्यों नहीं लेते ?"डॉ ० राजेंद्र बाबू बोले -"सभी की मूल आवश्यकताए बराबर है। मेरे लिए उतना ही काफी है ,जो मेरी आवश्यकताओ की पूर्ति करे।
आवश्यकता से अधिक संग्रह करना में उचित नहीं मानता हूँ। हमे सादगी और संयम का वातावरण बनाना चाहिए। "
(3 ) शांति का अमृत
एक विद्वान् से मिलने के लिए युवक आया। वह उनके कक्ष के पास पहुंचा। जल्दी से जूते उतारे और भड़भड़ाकर दरवाजा खोला। विद्वान् ने युवक से पूछा "क्या बात है ? जल्दी में हो ?"युवक ने कहा -"मै छमाशील होना चाहता हूँ। जल्दी बताइए कोई उपाय ,नहीं तो मै असफल हो जाऊंगा। "
विद्वान् ने युवक से कहा -"पहले तुम एक काम करो। जल्दी -जल्दी में जिन जूतों पर गुस्सा करके तुम बाहर छोड़ आए थे ,उनसे छमा माँगो। फिर जिस दरवाजे को तुमने भड़भड़ाया ,उससे माफ़ी माँगो। तब मै तुम्हे उपाय बताऊँगा। "युवक झल्लाकर जूतों के पास गया। उनसे छमा माँगि। फिर दरवाजे के पास आया। उसे लगा की वह हल्का हो रहा है। फिर वह विद्वान् के चरणों में गिर पड़ा। सच है ,छमा आदमी को करुणा और शांति से भर देती है। जो छोटी -से -छोटी वस्तु के प्रति छमा का भाव रखता है ,उसी के जीवन में शांति का अमृत प्रवाहित होता है।
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