Hmesa apne privar ki mdd kro

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बहुत दिनों पुरानी कहानी है। एक गांव में रामू नाम का लड़का रहता था। रामू अपने परिवार में अकेला ही था कमाने वाला। रामू  के पिता की मृत्यु काफी दिन पहले हो गयी थी। रामू के घर में एक उसकी माँ और एक छोटा भाई था। रामू एक बड़े किसान की गये चराने  जाता था। रामु को गाने का बहुत शोक था। जब सुबह -सुबह रामु  किसान की गाय चराने जाता तो वह एक पेड़ के नीचे बैठकर पुरे दिन गाना गाता था। शाम को फिर गायो को लेकर वापिस किसान के पास ले जाता। किसान इस काम के उसको एक रुपया देता था। रामु उस रूपये से अपने परिवार का पालन -पोशण करता था। एक दिन रामु सुबह -सुबह गाये चराने जा रहा था। उसने गायों को चरना छोड़कर अपने बरगद के पेड़ की ओर चला। उसने देखा की एक लकड़हारा उस पेड़ को काटने में लगा हुआ है। उसे बहुत गुस्सा आया। रामु उस लकड़हारे को देखकर उसके मन में एक विचार आया। उसने सोचा कि इस पेड़ को मै कैसे बचाऊ। उसने लकड़हारे से कहा ! सुन लकड़हारे जो तू इस पेड़ को काट रहा है। इस पेड़ के नीचे बहुत पहले एक महान रिषि ने तप किया था। वह पूरा तप करने के बाद इस पेड़ को एक वरदान दिया था कि तुझे काटने वाला कोई नहीं होगा। अगर तुझे किसी ने काटा तो तुम खुद जीवित होकर उस का सर्वनाश कर दोगे। 
                                            ये बात रामु के मुँह से सुनकर लकड़हारा वहाँ से भाग गया। रामु अभी बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर गाना गाने वाला था कि अचानक बरगद का पेड़ सच में जीवित हो गया। और उसने रामु का धन्यवाद किया और उसे एक उपहार में एक घंटी दी। रामु बोला यह तो एक सदाहरण घंटी है। मै इसका किया करूंगा। तभी बरगद का पेड़ बोला नहीं ये सदाहरण घंटी नहीं है अगर तुम इसे दिन में एक बार बजा दोगे तो यह तुम्हे मन चाहा खाना दे देगी। जिससे तुम कभी भूखे नहीं मरोगे। रामु उस घंटी को लेकर बहुत खुश था। अब वह शाम को फिर किसान की गये लेकर वापिस गांव में आ गया। और अपनी माँ को सारी बाते बताई। रामु की माँ भी खुश हो गयी। शाम को रामु अपने परिवार के साथ बैठकर घंटी बजायी और तुरंत तीनो के लिए स्वादिष्ट खाना आ गया अब तीनो ने पेट भर कर खाना खाकर रात को सो गए। रामु फिर रोज की तरह गए चराने चला गया। उस दिन उसकी माँ और भाई ने उसके आने से पहले ही घंटी का प्रयोग कर लिया और पेट भर कर खाना खा लिया। रामु शाम को ख़ुशी -ख़ुशी घर लोटा और उसे बहुत तेज भूख लग रही थी। वह सोच रहा था कि चलो अब घंटी की सहायता से गर्म गर्म खाना खायंगे। उस दिन रामु की माँ ने रामु के लिए  थोड़ा ही खाना बचाया था। रामु ने जैसे ही घंटी बजायी तो उसे खाना नहीं मिला। रामु समझ गया की आज माँ ने इस मुझसे पहले ही प्रयोग कर लिया है। 
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                                                रामु को उस दिन उस थोड़े खाने से काम चलना पड़ा। अगले दिन रामु घंटी साथ ले गया। अब पुरे दिन उसके छोटे भाई और माँ ने खूब घंटी को ढूंढा लेकिन घंटी नहीं मिली। शाम को जब रामु वापिस घर आया तो उसके छोटे भाई ने घंटी के बारे में पूछा तो रामु ने झट से घंटी अपने पास से निकली। ये देखकर रामु की माँ को गुस्सा आ गया और बोली कि ये तूने क्या किया। आज  तेरा छोटा भाई पुरे दिन भूखा रहा और तू इसे साथ ले गया। रामु बोला माँ में इसलिए अपने साथ इस घंटी को ले गया था कि कल मुझे थोड़ा -ही खाना मिला था। माँ मुझे माफ़ कर दो मै थोड़ा स्वार्थी बन गया था। आज के बाद फिर ऐसा नहीं करूंगा। सदैव आप सभी की मदद करूंगा। 

                              हमे इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है की हमे कभी -भी स्वार्थी नहीं होना चाहिए। सदैव अपने परिवार के सभी छोटे व बड़ो की मदद करनी चाहिए। 


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