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बहुत पुरानी बात है ,एक सेठ रहता था। वह बहुत बड़ा व्यापारी था। उसका व्यापार देश -विदेश में फैला हुआ था। उसके पास बहुत से नौकर -चाकर थे। उनमे से एक नौकर बहुत -ही ईमानदार था व मेहनती भी था। सेठ को एक लड़का भी था। वह बहुत ही शैतान था। वह दिनभर खेलता रहता था तथा जिद्दी भी बहुत था। एक दिन वह सेठ के साथ समुन्द्र के किनारे चला गया। वह सेठ जी से बोला पिताजी आप यह क्या कर रहे हो ?तो सेठ जी बोले ! बेटा 'मै यहाँ अपने जहाज का इंतजार कर रहा हूँ। वह बालक बोला चलो ना मेरे साथ खेलो ,सेठ जी बोले बेटा नहीं मै खेलने नहीं बल्कि अपना जहाज देखने आया हूँ। उसमे बहुत सारा सामान है। वह बालक बोला चलो कोई बात नहीं मै ही अकेला खेल लेता हूँ। इतना बोलकर वह बालक समुन्द्र के किनारे खेलने लगा। और खेलते समय वह समुन्द्र में जा गिरा ,समुन्द्र में गिरते हुए बालक ने बचाओ -बचाओ की आवाज लगाई। सेठ जी ने ध्यान से उसे देखा और चिल्लाने लगा। बचाओ कोई तो बचाओ मेरे बच्चे को। उसके पास उसका ईमानदार नौकर रामु खड़ा था। वह रामु से बोला देखते क्या हो ? मेरे बच्चे को बचाओ। इतने में रामु समुन्द्र में छलांग लगा दी। और सेठ जी के बच्चे को बचा लाया समुन्द्र से। सेठ जी घबरा गए और बोले की कैसा है मेरा बच्चा ? रामु बोला सेठ जी आपका बच्चा ठीक है घबराने की जरूरत नहीं है। वह थोड़ी देर में होश में आ जायेगा। थोड़ी देर में बच्चे ने अपनी आँखे खोली और पिताजी की गोद में बैठ गया। इतना देखकर सेठ जी की आँखो में आँसू आ गए और रामु का धन्यवाद करने लगे और बोले अगर आज तुम ना होते तो मेरा बच्चा का बचना मुश्किल था। बोलो तुम्हे किया चाहिए। रामु बोला सेठ जी मुझे कुछ -भी नहीं चाहिए। मै ऐसा ही ठीक हूँ। तो सेठ जी बोले आज से तुम आजाद हो। जो चाहो वह कर सकते हो। आज से तुम कही -भी जा सकते हो। रामु बोला सेठ जी मै अपने घर का खर्चा
कैसे चलूँगा। सेठ जी बोले जो अभी जहाज आने वाला है उसे तुम ले लो और उसमे जो सामान है उसे विदेश में बेचकर उससे बहुत सारा धन कमाना।
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इतने में समुन्द्र के किनारे जहाज आ गया। सेठ जी ने उसे ऐसे ही सामान भरे हुए को रामु को दे दिया। रामु सेठ जी से विदा लेकर उस जहाज में बैठकर विदेश जाने लगा। वह अभी जहाज को लेकर समुन्द्र में जा रहा था लेकिन वह रास्ता भटक गए। इतने में समुन्द्र में तेज तूफान आने लगा। उस तूफान में उस रामु का जहाज पलट गया। रामु कैसे -कैसे बचा ये तो भगवान ही जानते है। लेकिन जब वह एक तट के किनारे पहुंचा तो उसे होश आया। उसने देखा की चारो -ओर पेड़ ही पेड़ है। उसने सोचा की जहाज तो पूरा ही नष्ट हो गया और उसमे जो व्यक्ति थे वो सभी मर गए। अब मै क्या करू इस जंगल में ,उसे बहुत जोर से भूख भी लग रही थी। उसने सोचा चलो जंगल में कुछ खाने को ढूढ़ते है। वह इधर -उधर अभी घूम रहा था अचानक उसे जंगल में एक बहुत बड़ा महल दिखाई दिया। वह उस महल को देखकर सोच रहा था की चलो इस महल के अंदर ही जो भी व्यक्ति होगा उससे मै कुछ खाने को मांगता हूँ। वह अभी सोच ही रहा था कि अचानक उसके सामने बहुत सारे व्यक्ति आते दिखाई दिए। और साथ में एक सुंदर -सा रथ भी था व साथ में कई सिपाही भी थे। रामु उन्हें देखकर डर गया। वह सोचने लगा की शायद इन्होने मुझे देख लिया है। ये तो कोई बड़ी मुसीबत है। इतने में वे रामु के पास आये और बोले ! महाराज की जय हो चलो महाराज महल के अंदर। रामु ये सब बाते सुनकर हैरान था कि ये सब मुझे महाराज क्यों बुला रहे है ? रामु बोला मुझे छोड़ दो मुझे जाने दो इतना सुनकर उनमे से एक सिपाही बोला महाराज ऐसा नहीं हो सकता हम तो बहुत दिनों से आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे।
अब हम आपको जाने नहीं देंगे। और रामु को पकड़कर एक महल में ले गए। रामु को राजा के कपड़े पहनाये और राजा की गद्दी पर बिठा दिया। अब रामु बहुत ही चिंता में था। वह समझ नहीं पा रहा था कि मै कहाँ फंस गया। रामु ने दो समझदार से सिपाही बुलाए और उनसे पूछने लगा की ये क्या मामला है जो मुझे सभी महाराज मान रहे है ? वे दो सिपाही बोले हमारे राज्य में जो भी व्यक्ति इस तट से आता है उसे हम बस एक साल के लिए महाराज की गद्दी पर बिठा देते है। और एक साल बाद उसे एक रेतीले मैदान में छोड़ देते है फिर चाहे वह मरे या जीवे फिर उसकी कोई सूद नहीं लेता है।
ये बाते सुनकर रामु बहुत -ही डर गया था। रामु उन सिपाहियों से बोला चलो मुझे वह रेतीला मैदान दिखा दो। उन दोनों ने रामु को वह जगह दिखा दी। अब तो रामु बहुत ही खुश था। महल के अंदर जो भी पहरेदार और सिपाही थे सब ये सोचकर खुश हो रहे थे की आगे -आगे देखना जब राजा की गद्दी से उतरकर रेतीले मैदान में भूखा मरेगा। अभी तो ये खुश नजर आ रहा है। उसके बाद इसकी हालत खराब हो जायगी। दिन बीतते गए और वह दिन आ गया जब राजा को गद्दी छोड़नी थी। फिर से महल में बहुत सारे व्यक्ति जमा हो गए और राजा से बोले महाराज आज एक साल पूरी हो गयी है। आज आपको महल छोड़कर जाना होगा। इतना सुनकर राजा बना रामु उनसे कहने लगा कि मेरी आखरी इच्छा नहीं पूछोगे। वे सब बोले क्यों नहीं ? बोलो आपकी आखरी इच्छा क्या है ? रामु बोला जहाँ आप मुझे छोड़ने वाले हो वह जगह कौन -सी है ? वह जगह मुझे देखनी है। वे सभी रामु को लेकर उस जगह गए तो हैरानी से देखने लगे की यहाँ तो बहुत दिनों से रेतीला मैदान था। लेकिन यहाँ तो सभी लोग मौजूद है और किसान अपनी फसले कांट रहे है। कोई अपने घर की सफाई कर रहा है और यहाँ तो बहुत -सारे मकान भी बन गए है। ये सब कैसे हुआ ? रामु की तरफ देखकर सभी बहुत हैरान थे। वहाँ मौजूद लोगो ने राजा बना रामु को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। महल के सिपाही ये सब देखकर रामु से पूछने लगे कि आप ने ये सब कैसे किया ? तो रामु बोला जब मैंने पहले ये जगह देखी तो मैंने महल के अंदर बैठे -बैठे एक व्यक्ति को बुलाया। और उसे बहुत सारा धन देकर यहाँ और बहुत से व्यक्ति बुलाए ओर यहाँ पर घर बनवाये। व बहुत से लोगो को खेत भी दिए। इस महल के अंदर से जो भी सारा धन था। मैंने यह रेतीला मैदान एक अच्छी जगह बना दी। जिससे में भी कल यहाँ आकर भूखा नहीं मरु। फिर क्या था। पूरी प्रजा ने उसे ही पूरी जिंदगी अपना राजा मान लिया। फिर रामु ख़ुशी -ख़ुशी महल के अंदर रहने लगा। उन सिपाहियों ने भी कुछ भी नहीं किया रामु के साथ।
इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है कि कभी -भी बुरे समय में नहीं घबराना चाहिए। बल्कि उस समस्या का समाधान निकाले। कभी -भी निराश नहीं होना चाहिए। जिंदगी हमेशा हमारी प्रतीक्षा लेती है। इस कहनी को पढ़कर हमे अपनी राय जरूर दे की हम गलत है या सही। आप का जवाब हमारे लिए बहुत ही प्रेरणा दायक होगा। धन्यवाद।
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जय हो बाबा मोहन राम की
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