PIPPL KE PED KI PUJJA

इस कहानी में हमने ये बताने की चेस्टा की है। अच्छा खाने के साथ -साथ शरीर की देखभाल भी करनी चाहिए। रोज सुबह व्यायाम करना चाहिए क्योकि आप कभी भी बीमार नहीं पड़ोगे। खाना कभी भी पेट भर कर नहीं खाना चाहिए। ज्यादा खाना भी सेहत के लिए हानिकारक होता है। 

बहुत दिनों बाद एक सेठ को एक बच्चा हुआ। बच्चा शरीर में तकड़ा था। सेठ ने उस दिन सारे गांव वालो को दावत दी। सेठ की पत्नी बोली ! देखो ना हमारे बच्चे का किया नाम रखे। सेठ ने बच्चा अपनी गोद में लिया और बोला हमारे बच्चे का नाम पहलवान रखेंगे। उसकी पत्नी बोली ये नाम तो बहुत अच्छा है। हमारा बच्चा लगता भी पहलवान है। अब रोज घर में कई प्रकार के पकवान बनते और कई प्रकार की मिठाइयाँ भी बनती थी। 
                                                          अब रोज सेठानी अपने बच्चे को बहुत ज्यादा खिलाती थी। वह उसे पेट भरकर खिलाती और वह बच्चा भी पुरे दिन खाता रहता था। अब बच्चा बड़ा होने लगा था। पहलवान को अब चलने -फिरने में भी दिक्क्त होने लगी। जितना बड़ा हुआ उतना ही उसका पेट भी बाहर को निकलता जा रहा था। 
                                                                                अब पहलवान बीमार पड़ गया। उसके पिता ने उसे हर डॉक्टर से दवाइयाँ दिलवाई लेकिन पहलवान ने अब भी पुरे दिन खाता -पीता रहता था। पहलवान को दवाइयों से कोई आराम नहीं मिला। अब तो पहलवान का खाना -पीना भी छूट गया बहुत ही कम खाता था। उसके पिता बहुत -ही परेशान थे। उसकी बीमारी को लेकर। एक दिन गांव में एक वेद  जी आये। उसके पिता को पता चला की शरीर में कोई -भी बीमारी हो वह वेद  जी ठीक कर देते है। वह दौड़े -दौड़े वेद  जी के पास पहुंचे। और वेद जी अपने पुत्र की बीमारी बताई। वेद जी तुरंत उसके पिता के साथ उनके घर पहुंचे। वेद जी ने पहलवान को देखा और बोले सेठानी और सेठ जी आप कही अपने बच्चे से मेहनत तो नहीं करवा रहे हो। सेठानी और सेठ जी बोले नहीं वेद जी हम ऐसा कुछ भी काम नहीं करवा रहे है अपने पुत्र से। वेद जी बोले तुम्हारे गांव में एक जादुई पेड़ है ,उस पहाड़ी के पास जो भी उस पेड़ को रोजाना सुबह -सुबह 7 बजे तक बिना खाये -पिए उस पेड़ का चक्क्र लगा दे तो यह ठीक हो सकता है। पहलवान के पिता ने कहा ठीक है महाराज मै इसे कल से ही भेज दूंगा। दूसरे दिन ही पहलवान को गांव के उस पार पहाड़ी पर एक पीप्पल के पेड़ का चक्क्र लगाने लगा। वह हार रोज ऐसा -ही करने लगा। वह प्रतिदिन ठीक होने लगा और शरीर में फुर्ती भी आ गयी। अब तो वह भागकर पहाड़ी के उस पार पीपल के पेड़ का चकर लगता था और व्यायाम भी करता था। अब वह स्वस्थ  हो गया था। वेद जी फिर उस गांव में पहुंचे और पहलवान के घर जाकर देखा तो पहलवान तो एक महीने में बिलकुल ही बदल गया था। वेद जी ने पहलवान से पूछा अब कैसे हो बच्चे ?
   पहलवान बोला वेद जी मै तो बिलकुल ठीक हूँ उस जादुई पीपल के पेड़ की वजह से। वेद जी ये बात सुनकर हसने लगे और बोले जादू पेड़ में नहीं बल्कि तुम में है। अगर तुम हर रोज ऐसे -ही व्यायाम करते रहोगे तो जीवन में कभी बीमार नहीं पड़ोगे। आप ही नहीं संसार का हर एक व्यक्ति जैसे अपने काम को रोजाना करता है ,उसी काम में से मात्र आधा घंटा अपने शरीर के व्यायाम में लगा दे तो कोई भी बीमार नहीं पड़ेगा। 

Comments

Popular posts from this blog

Maa baap ki seva hi asli dhrm hai

keya aap ko lgta hai ki sbka malik ek hai

School mujhe acha lga