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Showing posts from November, 2018

Agriculture

how to make money with Agriculure aaj hm agriculture se bhot achha kama skte h agar hm achhe se mehnat kre  or lagan se kaam kre  aaj bhot sari technology bhi use ki ja rhi h aajkal tractor ka use jaisa ki hm sab jaante h ki tractor ko hm bhot se kaam me use me late h. jaise cultivating krna , irrigating, cutting and etc.

Panch prrmesver

हमे अपने कर्तव्य का पालन पूरी निर्भीकता से करना चाहिए। इस कहानी में यही संदेश दिया गया है।  अलगू चौधरी और जुम्मन शेख में गाढ़ी मित्रता थी। अलगू चौधरी ने जुम्मन शेख के पिता से उसके साथ ही शिख्सा पायी थी। दोनों को एक -दूसरे पर भरोसा था और आड़े समय में दोनों मित्र एक -दूसरे का साथ खुलकर देते थे। अलगू चौधरी कही बाजार जाता तो अपना घर जुम्मन के भरोसे छोड़ जाता। इसी तरह जुम्मन शेख अपने घर -दवारा की जिम्मेदारी अलगू चौधरी को सौंप जाता था।                             जुम्मन की एक बूढ़ी मौसी "खाला "थी। जुम्मन के सिवाय इस दुनिया में उसका कोई नहीं था। वह जुम्मन के साथ ही रहती थी। जब तक उसने अपने खेत व घर की सपत्ति जुम्मन के नाम नहीं लिख दी ,तब तक उसकी पूरी खातिदारी होती रही ,लेकिन सपंत्ति लिखते ही उसकी खातेदारी में कमी आ गयी।    यहा तक की रोटी -दाल के भी लाले पड़ने लगे। जुम्मन की पतनी गर्म मिजाज की थी। वह रोटियों के साथ कड़वी बातें भी कहने लगी "-बुढ़िया कब तक जियेगी। दो तीन बीघा ऊसर जमीन क्या दे दी ,मानो हमे खरीद लिया। जितना रुपया इसके पेट में झोंक चुके ,उतने से तो अब तक गांव खरीद

internet

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                         कम्प्यूटर नेटवर्क पर विश्वकोश के रूप में किसी पर वांछित सूचनाएं पूरे विस्तार के साथ व्यवस्थित रूप में उपलब्ध हो जाती है। आज के समाज को 'सूचना समाज 'कहा जाता है ,      क्योकि सूचना प्रौद्योगिकी की बदौलत आज सपूर्ण विश्व के तमाम लोगो को एक ही नेटवर्क से जोड़ दिया गया है। वर्ल्ड वाइड वेब अर्थात डब्ल्यू  डब्ल्यू  एक काल्पनिक विश्व्यापी जाल है। इसके माध्यम से कप्यूटर पर उपलब्ध सूचनाएं प्राप्त होती है। वर्ल्ड वाइड वेब का मुख्य काम उपयोगकर्ताओं के लिए विभिन सूचनाएँ  देना होता है। इंटरनेट का कनेक्सन रखने वाला व्यक्ति किसी भी विषय पर तत्काल जानकारी प्राप्त कर सकता है। इंटरनेट में वस्तुत : दुनिया -भर के सारे कप्यूटर समहू रूप में जुड़े है ,जिनसे परस्पर सूचनाओं का आदान -प्रदान होता है। नेट की सहायता से दुनिया के किसी भी देश प्रांत ,शहर ,गांव या किसी भी भाग के बारे में वहां की संस्कृति ,भाषा वहां की ऐतहासिक अथवा भौगोलिक जानकारी अथवा वहां की प्रगति अथवा अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर  सकते है।     आज इंटरनेट पर साहित्य ,सस्कृंत ,अनुंसधान ,अंतरास्ट्रीय

Es abhav ki purti krni hi hogi

घड़ी जैसी अनेक पुर्जो वाली मशीन तभी ठीक प्रकार बन और चल पाई है ,जब उनके सभी घटको का निर्माण ठीक तरह किया गया हो ,उनकी गतविधियों के बीच संतुलन बिठाया गया हो। इस व्यवस्था के बिना उस निर्माण में लगा हुआ धन और श्रम व्यर्थ ही चला जाता है। घड़ी निकम्मी पड़ी रहती है। यही बात अन्य छोटी बड़ी मशनियो पर पूरी तरह लागू  होती है। उसके निर्माता तभी अच्छा लाभ और यस कमा पाते है ,जब उनके पुर्जे सन्तुलति रीति से बने और फिट किये गए हो।                  सृष्टा की महिमा इसलिए भूरि -भूरि  प्रशंसा के योग्य है कि उसमे व्यवस्था कर्म का आस्चर्यजनक सुनियोजन हुआ है। उसमे कमी या गड़बड़ी रहती तो अनिरंथी स्वेछाचारी ग्रहे गोलक आपस में टकराते और टूट -फूट कर नष्ट होते रहते। प्राणियों और वनस्पतियो के सबंध में भी यही बात है। वे इसलिए एक व्यवस्था के अनुरूप उगते ,बढ़ते और परिवर्धित होते रहते है। यहां तक कि खुली आँखो से न दीख पड़ने वाले अणु -परमाणु तक अपने छोटे कलेवर में विशाल सौर मंडल जैसी गतिविधियों के अनुकरण का उदहारण प्रस्तुत करते रहते है। यदि इस विशाल ब्रहांड व्यवस्था में कही  भी असंतुलन रहा होता ,तो यह समूचा पसारा कूड़े -कर्क

Pdose

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                        ह मे अपने पड़ोसी की सहायता करनी  चाहिए। इस कहानी में हमने यही बताने की चेस्टा की है।   न  यमुना   दी के किनारे आम  का     एक पेड़ था। उस पेड़ पर बहुत मीठे आम  लगे थे। उसी पेड़ पर खोखल में एक तोता रहता था। वह  दिनभर पेड़ के आम खाता और मस्त रहता। कुछ चीटियां पेड़ के नीचे बिल बनाकर रहती  थी। वे तोते द्वारा फेके गए आमो औ र गुठलियो का रस चूसकर खुश  रहती  थी। इस तरह तोते और चीटियों में मित्रता हो गयी थी।                                     एक दिन नदी  में बाढ़ आ गई। तोते ने चीला -चिल्लाकर चीटियों को सावधान किया।                                           उसने उनसे बिल से निकलकर पेड़ पर चढ़ आने को कहा। चीटियों ने ऐसा ही किया। किन्तु पेड़ पर चढ़ते समय एक चींटी फिसलकर पानी में गिर गयी

MAKHAN CHOR

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श्रीकृष्ण  बचपन में बड़े ही नटखट थे। वह  अपने  सखाओ के साथ गोकुल की गलियों में खेलते थे। वह  ग्वालनिओ को आते -जाते तंग किया करते थे। कभी -कभी ग्वालनिओ की मटकिया  भी फोड़ देते  थे। अवसर पाकर  उनके घरो में घुस जाते थे। वहा  वह  चोरी से माखन खाते  थे और अपने सखाओ को भी खिलाते  थे।  जब ग्वालनिए  माँ  यशोदा  से श्रीकृष्ण  की शिकायत करती  थी  तो  यशोदा  माँ श्रीकृष्ण  को डाटने लगती थी तब श्रीकृष्ण  बड़े भोले  -भले  बन कर  कहते थे - " माँ मैने  ऐसा कुछ नहीं किया। ये ग्वालनेए  मुझे पिटवाने के लिए मेरे पीछे पड़ी  है। " एक बार वह  एक ग्वालनी 'छबीली ' के घर में घुसे। छबी ली घर में नहीं थी। कृष्ण ने देखा कि एक कोने में माखन की मटकी  रखी है। उन्होंने माखन निकालने को मटकी में हाथ डाला ही था कि तभी छबीली आ गई। उसने कृष्ण को पकड़ लिया।  छबीली ने कहा  - -" आज मैने  तुमको चोरी करते पकड़ लिया।  चलो यशोदा  जी के पास। " वह  श्रीकृष्ण  को पकड़ कर माँ के पास ले गई। उसने यशोदा  माँ  से कहा --"देखो मैने आज तुम्हारे बेटे को चोरी करते पकड़ लिया है। इसके हाथ माखन में सने  हु श्

Kbhe bhe gyan ka anhkar mat kro

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बहुत  समय  पहले  एक  गांव  में  एक पंडित  जी  रहते  थे।  पंडित  जी  बहुत  ज्ञानी  थे।  उन्होंने  सभी  ग्रंथों  का  अध्ययन  किया  हुआ  था।  उन्हें  अनेक  भाषाओ  का  ज्ञान  था और व्याकरण  पर  भी  उनकी  पकड़  बहुत  मजबूत  थी।  पंडित  जी अपने  ज्ञान के बारे में बहुत डींगे  हाँकते  थे।  कहते  थे , " उनकी  टककर  का कोई भी विद्वान् इस देश में नहीं है। " उन्हें अपने ज्ञान पर बहुत घमंड  था।  लेकिन पंडित  जी को जीवन  के व्यावहारिक  ज्ञान का बोध  नहीं था।  एक बार पंडित जी एक समारहो  में भाग लेने के लिए  पास  गांव  में गए।  पास के गांव में जाने के लिए नदी  पर करनी  पड़ती  थी।  पंडित  जी ने एक नाव  किराये  पर  ली  और उसमे  बैठकर  दूसरे गांव की  और चल दिए।       रास्ते  में  उन्होंने  नाविक  से पूछा ," क्यों  भाई ! तुम कहा  तक पढ़े -लिखे  हो ?" नाविक ने जवाब  दिया ,"पंडित  जी , मैने  तो  अपने जीवन  में कभी  स्कूल  का मुँह  भी नहीं देखा। " पंडित  जी ने मुँह बिगड़ते  हुए  कहा  ," तुम्हारी  बात सुनकर  मुझे  बहुत  दुःख  हुआ , क्योकि  तुमने तो अपनी उम्र व्यर्थ 

Sdev bdo ki batt mano

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 एक  ब ा र  ए क  जग़ल  म े  ए क  ब क र ी  ओ र  म े म न ा  र ह त े  थ े।  ए क   ि द न  म ों स म  ब ह ु त  स ुह ा न ा  ह ो  र ह ा  थ ा  म े म न ा  को  हरी -हरी  घास पर इधर -उधर  घूमने  में  बड़ा  मजा  आ  रहा  था।   मेमना  बहुत  सेठान  था।  पहले  तो वह बकरी के आस -पास  उछल -कूद  कर रहा था,लेकिन अब  उसको जंगल  में  दूर  तक जाने की  इच्छा  हो  रही थी। वह दूर जाने लगा तो बकरी  ने उससे  कहा ," दूर  मत  जाओ  नहीं तो जंगल  में  भटक  जओगे। " लेकिन  मेमने ने बकरी  की  बात  नहीं  मानी  और  चुपचाप  नजरे  बचाकर  दूर निकल  गया।  मेमने  ने  मन  में  सोचा  कि  वह  थोड़ी  देर  खेलकर  वापस  आ  जाएगा। लेकिन  वह  खेलते -खेलते  जंगल  में बहुत  दूर  निकल  गया और  उसे  वापस  आने  का रास्ता  तक  याद  नहीं रहा। उसे  जंगल  में  भटकते  -भटकते  शाम  हो  गई।  मेमना  भूख -पियास  से  बेहाल  होकर  मिमियाने  लगा  , तभी  वहा  पर  घूमते  हुए  एक  भूखे  भेड़िये  की  नजर  उस  पर  पड़ी।  मेमने  को  देखकर  भेड़िये  की  आँखो  में  चमक  आ  गई।             भेड़िये  ने तीन दिनों  से  कुछ  नहीं  खाया  था, एसलिए  मेमने 

preevar

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Mata petha, bhai bhen milaker ek preevar banta hai.ek ghar ke sbhe sdsyo ke smhu ko preevar kehate hai.preevar ka prtak sdsye apps me pyar se rhte hai.sab ek dusre ke sukh -dukh me sath dete hai.              PREEVAR KAI PRKAR KE HOTE HAI              (  CHOTA PREEVAR) melte haEk athva do vala preevar chota preevar kehalata hai.pray esa kha jat he sdsyo ko bhojan -vaster ache prkar se i. bchoo ko ache sekssa evm any suvedha bhe prapt hote hai.             ( BDA PREEVAR) a hai ki chota preevar sukhe preevar hota hai. yhe shai bhai hai.kyoki chote preevar ki avasktaye simet hoti hai aur sbhe sdsyo ko bhojan -vaster ache prkar se i. bchoo ko ache sekssa evm any suvedha bhe prapt hote hai.             ( BDA PREEVAR) Teen ya usse adheek bche vale preevar ko bda preevar kha jata hai. bde preevar ki avasktaye semit nahi hote hai.esleye sbhe sdsyo ko bhe mulbhut avasktaye aur suvedaye assni se prapt nahi ho pathe.             (SYUNKTH PREEVAR) Syukt preevar vhe preevar hot