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Showing posts from February, 2019

Lalch ka fl bura hota hai .

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एक बार की बात है एक गरीब लड़का था। लड़के का नाम रमेश था। रमेश बहुत ही ईमानदार था व ईमानदार भी था। रमेश के पास पैसे नहीं थे उस ने सोचा जंगल में जाकर कुछ जड़ी -बूटी इकठा करके बाजार में बेचकर कुछ और व्यसाय करूंगा। वह जंगल में घूम रहा था ,घूमते -घूमते उसे बहुत जोर की पियास लगी तो वह कुँए के पास पहुंचा। जैसे -ही कुँए के पास पहुंचा तो उसे कुँए उसमे से हमे बचाओ हमे बचाओ की आवाजे आने लगी।                       रमेश ने कुँए में झाका तो उसमे एक सुनार और एक शॉप और एक बंदर व एक शेर वे सभी मदद  के लिए चिला रहे थे। रमेश को देखकर बोले भईया हमारी मदद करो। सारे आपस में झगड़ा करने लगे और पहले मुझे निकालो पहले मुझे निकालो बोलने लगे। रमेश बोला पहले मै पानी पीना चाहता हूँ। जब किसी की मदद करूंगा। रमेश ने कुँए में एक बाल्टी डाली और बोला पहले इसे भरो शेर ने वह बाल्टी भर दी। रमेश ने बाल्टी ऊपर को खींचकर पानी पी लिया। अब रमेश ने एक रस्सी कुँए में डाली और बोला जिसने मेरी मदद बाल्टी भरी थी वही सबसे पहले बाहर निकला। शेर ने रस्सी पकड़ ली और रमेश ने रस्सी को खींचकर शेर को बाहर निकाल दिया और रमेश से बोला धन्यवाद द

Krm hi fl hai .

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Add caption बहुत पुरानी बात है ,एक सेठ रहता था। वह बहुत बड़ा व्यापारी था। उसका व्यापार देश -विदेश में फैला हुआ था। उसके पास बहुत से नौकर -चाकर थे। उनमे से एक नौकर बहुत -ही ईमानदार था व मेहनती भी था। सेठ को एक लड़का भी था। वह बहुत ही शैतान था। वह दिनभर खेलता रहता था तथा जिद्दी भी बहुत था। एक दिन वह सेठ के साथ समुन्द्र के किनारे चला गया। वह सेठ जी से बोला पिताजी आप यह क्या कर रहे हो ?तो सेठ जी बोले ! बेटा 'मै यहाँ अपने जहाज का इंतजार कर रहा हूँ। वह बालक बोला चलो ना मेरे साथ खेलो ,सेठ जी बोले बेटा नहीं मै खेलने नहीं बल्कि अपना जहाज देखने आया हूँ। उसमे बहुत सारा सामान है। वह बालक बोला चलो कोई बात नहीं मै ही अकेला खेल लेता हूँ। इतना बोलकर वह बालक समुन्द्र के किनारे खेलने लगा। और खेलते समय वह समुन्द्र में जा गिरा ,समुन्द्र में गिरते हुए बालक ने बचाओ -बचाओ की आवाज लगाई। सेठ जी ने ध्यान से उसे देखा और चिल्लाने लगा। बचाओ कोई तो बचाओ मेरे बच्चे को। उसके पास उसका ईमानदार नौकर रामु खड़ा था। वह रामु से बोला देखते क्या हो ? मेरे बच्चे को बचाओ। इतने में रामु समुन्द्र में छलांग लगा दी। और सेठ जी

Hmesa apne privar ki mdd kro

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Add caption बहुत दिनों पुरानी कहानी है। एक गांव में रामू नाम का लड़का रहता था। रामू अपने परिवार में अकेला ही था कमाने वाला। रामू  के पिता की मृत्यु काफी दिन पहले हो गयी थी। रामू के घर में एक उसकी माँ और एक छोटा भाई था। रामू एक बड़े किसान की गये चराने  जाता था। रामु को गाने का बहुत शोक था। जब सुबह -सुबह रामु  किसान की गाय चराने जाता तो वह एक पेड़ के नीचे बैठकर पुरे दिन गाना गाता था। शाम को फिर गायो को लेकर वापिस किसान के पास ले जाता। किसान इस काम के उसको एक रुपया देता था। रामु उस रूपये से अपने परिवार का पालन -पोशण करता था। एक दिन रामु सुबह -सुबह गाये चराने जा रहा था। उसने गायों को चरना छोड़कर अपने बरगद के पेड़ की ओर चला। उसने देखा की एक लकड़हारा उस पेड़ को काटने में लगा हुआ है। उसे बहुत गुस्सा आया। रामु उस लकड़हारे को देखकर उसके मन में एक विचार आया। उसने सोचा कि इस पेड़ को मै कैसे बचाऊ। उसने लकड़हारे से कहा ! सुन लकड़हारे जो तू इस पेड़ को काट रहा है। इस पेड़ के नीचे बहुत पहले एक महान रिषि ने तप किया था। वह पूरा तप करने के बाद इस पेड़ को एक वरदान दिया था कि तुझे काटने वाला कोई नहीं होगा। अगर तु

PIPPL KE PED KI PUJJA

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इस कहानी में हमने ये बताने की चेस्टा की है। अच्छा खाने के साथ -साथ शरीर की देखभाल भी करनी चाहिए। रोज सुबह व्यायाम करना चाहिए क्योकि आप कभी भी बीमार नहीं पड़ोगे। खाना कभी भी पेट भर कर नहीं खाना चाहिए। ज्यादा खाना भी सेहत के लिए हानिकारक होता है।  बहुत दिनों बाद एक सेठ को एक बच्चा हुआ। बच्चा शरीर में तकड़ा था। सेठ ने उस दिन सारे गांव वालो को दावत दी। सेठ की पत्नी बोली ! देखो ना हमारे बच्चे का किया नाम रखे। सेठ ने बच्चा अपनी गोद में लिया और बोला हमारे बच्चे का नाम पहलवान रखेंगे। उसकी पत्नी बोली ये नाम तो बहुत अच्छा है। हमारा बच्चा लगता भी पहलवान है। अब रोज घर में कई प्रकार के पकवान बनते और कई प्रकार की मिठाइयाँ भी बनती थी।                                                            अब रोज सेठानी अपने बच्चे को बहुत ज्यादा खिलाती थी। वह उसे पेट भरकर खिलाती और वह बच्चा भी पुरे दिन खाता रहता था। अब बच्चा बड़ा होने लगा था। पहलवान को अब चलने -फिरने में भी दिक्क्त होने लगी। जितना बड़ा हुआ उतना ही उसका पेट भी बाहर को निकलता जा रहा था।                                                       

Bhoot ka jngl

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इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में हमे शंघर्ष करना चाहिए। क्योकि संघर्ष ही है जो हमारे जीवन को सरल बनता है। कभी -भी मुश्किल समय से नहीं घबराना चाहिए। अपने सच्चे मन से भगवान को याद करे।  एक बार एक गांव में बहुत ही सूखा पड़ गयी थी। उस गांव में सारी फसले नष्ट हो गयी थी। उस गांव में चार मित्र रहते थे। उन चारो में बहुत प्रेम था। वे चारो मित्र आपस में बातचीत कर रहे थे। उन चारो मित्र का नाम राम ,श्याम ,रमेश और दिनेश था। वे चारो मित्र गांव की भलाई सोच रहे थे। राम बोला ! भाई मुझे तो लगता है कि हमारे गांव में बारिश इसलिए नहीं हो रही है कि हमारे गांव में किसी ने ज्यादा पाप कर रखा है। उन्होंने बातचीत से मसला निकला कि पास के गांव में एक मंदिर है। उसमे सारे चलकर पूजा करते है। शायद भगवान हमारी पुकार सुन ले और बारिश कर दे।                      राम ,श्याम  ,रमेश और दिनेश चारो मित्रो ने एक बैलगाड़ी ली और दूसरे गांव में पूजा के लिए निकल गए। उन चारो मित्रो ने उस गांव में पहुंचकर मंदिर में पूजा की और वापिस लौटने लगे। उन्हें अपने गांव में वापिस जाने में बहुत अँधेरा हो गया था,रास्ते में

Bhojn shrir ko vibhin rogo se bchata hai .

शरीर एक अनमोल धन है।  आज हम आपका बताते है कि कौन -से फल में कोनसी विटामिन पायी जाती है। और उससे हमे किया फायदा है अच्छा शरीर रखने के लिए हमे कौन -से फल कब और कौन से मौसम में खाने चाहिए।    हमारा स्वास्थ्य कई बातो पर निर्भर करता है। इनमे स्वच्छ वायु ,पीने का शुद्ध पानी , अच्छा आवास तथा संतुलित आहार और भोजन प्रमुख है। इससे अलग व्यायाम ,विश्राम और इससे अलग साफ -सफाई से भी यह अच्छा रहता है। हमारा शरीर लगातार कुछ न कुछ कार्य करता रहता है। सभी प्रकार के शारीरिकी व मानसिक कार्यो में हमे ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा हमे अधिकांशत भोजन से ही मिलती है।                               बच्चो के शारीकि विकास और वृद्धि में भी भोजन की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। स्वास्थ्य रहने के लिए व्यक्ति को ठीक प्रकार का भोजन ,जिसमे सभी आवश्यक पोषक तत्व विद्य्मान हो ,करना चाहिए। इस प्रकार के भोजन को हम संतुलित आहार कहते है।                                                         भोजन के पोषक तत्व             हमारे प्रतिदिन के भोजन में वैज्ञानिक दृष्टि से अलग -अलग प्रकार के पोषक तत्व पाए जात

Yurop ki yatra

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यह मेरी पहली विदेश यात्रा थी। दोस्तों की सलहा से मैने सर्दी के लिए गर्म कपड़े बनवाये। मै रोजाना खादी कपड़े ही पहने करता था। इस कहानी में डॉक्टर राजेंद्र जी की यूरोप यात्रा का जिक्र है।       कपड़े की काट -छाट  भी देशी रखी। अंग्रेजी कपड़े न पहनने का निश्चय किया। फलस्वरूप दो बाते हुई। बहुत कम खर्च में काम के लायक काफी कपड़े तैयार हो गए। कपड़े हिंदुस्तानी थे। इसलिए उसमे कुछ भूल अथवा भद्दापन भी हो तो कोई विदेशी समझ नहीं सकता था। अंग्रेजी कपड़े और रहन -सहन धारण करने पर उन लोगो के फैशन और रीती -निति के अनुसार ही चलना -फिरना ,कपड़ा पहनना और खाना -पीना पड़ता है।                         अपना रहन -सहन कायम रखने से यह सब झँझट दूर हो जाता है। खासकर मुझ जैसे आदमी के लिए यह झंझट कुछ कम नहीं है क्योकि मैने कभी जीवन में कपड़े और फैशन पर ध्यान दिया ही नहीं। मैंने कपड़ो को ही शरीर गर्म रखने और लज्जा -निवारण का साधन मात्र ही समझा है।                                   जहाज पर मेरी पोशाक लोगो को कौतुहल का केंद्र बनी रही। एक पारसी दंपति और एक अंग्रेज सज्जन मेरी ओर विशेष आकर्षित हुए। गाँधी जी ,खादी और शाकाहार

Sone ki kheti

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सोने की खेती एक कहानी है। इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है ,कि हमे दुसरो को बुरा बोलने से पहले अपने अंदर झांक लेना चाहिए। कि हमारे अंदर कितनी बुराई छुपी हुई है।          एक राजा था। वह अपने राज्य में होने वाले अपराध पर अपराधी को फांसी देता था। उसमे वह कोई छूट नहीं करता था। जो भी अपराधी होता उसको तुरंत फांसी दे देता था। एक बार उसके सिपाही एक गांव से एक चोर को पकड़ लाये। उसने चोर को तुरंत फांसी देने का निस्चय किया। चोर ने सोचा कि फांसी से कैसे बचा जाये ?                   चोर के मन में एक विचार आया। वह राजा के सामने हाथ जोड़कर बोला ,महाराज मुझे तो फांसी हो जायगी ,मगर मै मरने से पहले एक बात बताना चाहता हूँ। मुझे सोने की खेती करनी आती है। जिससे मै पैदा करने की तरकीप जानता हूँ। राजा ने उस चोर की बातो में आकर पूछा > बताओ कैसे की जाती है सोने की खेती ? चोर ने कहा ! महाराज उसके लिए आपको बहुत सारा सोना चाहिए। आपको पहले बाजार जाकर सुनार को बहुत सारी मोहरे तुड़वानी पड़ेंगी। मोहरो के छोटे -छोटे बाजरे के दाने जैसे की तरह करवाओ। उसके बाद खेत को अच्छी तरह से जोतना होगा। उसके बा

PARVEEN: Bhojn se hme takt milti hai.

PARVEEN: Bhojn se hme takt milti hai. : हमे जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन से हमारे शरीर का विकाश होता है। भोजन हमे काम और खेलने की शक्ति देता है।  भोजन ...

Bhojn se hme takt milti hai.

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हमे जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन से हमारे शरीर का विकाश होता है। भोजन हमे काम और खेलने की शक्ति देता है।  भोजन मानव और जानवर सभी के लिए जरूरी है। भोजन हमे पौधो और पशुओ से मिलता है। हम भोजन में फल ,सब्जियाँ ,दाल ,रोटी आदि खाते है। कुछ लोग मांस ,मछली और अंडो का सेवन करते है। छोटा बच्चा केवल दूध पीता है। भोजन दो प्रकार का होता है -मांसाहारी भोजन और शाकाहारी भोजन।                  मछली ,अंडा और मांस मांसाहारी जो भोजन  में आते है ,उन्हें मांसाहारी भोजन कहते है। जबकि फल ,और सब्जियाँ ,दाल ,चावल शाकाहारी भोजन के अन्तर्गत आते है।                          हम दिन -भर में तीन बार भोजन करते है। सुबह का भोजन ' नाश्ता ' कहलाता है। दोपहर का भोजन 'लंच ' और रात के भोजन  को 'डिनर ' कहते है।                                           हमे हमेशा ताजा भोजन खाना चाहिए। दूषित भोजन शरीर के लिए हानिकारक होता है।        1 >> हमे साफ और ताजा भोजन करना चाहिए।       2 >> फल और हरी सब्जियाँ शरीर के लिए लाभदायक है।       3 >>कुछ भोजन कच्च

Bhart ke dharmik tyohar

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भारत में अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते है जिनमे दशहरा ,दीपावली ,क्रिसमस ,ईद ,तथा गुरुपर्व प्रमुख रूप से मनाए जाते है।  यही कारण है कि भारत को त्योहार का देश माना जाता है।                                         ( दशहरा ) दशहरा विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह हिन्दुओ का प्रमुख त्योहार है। यह अशविन महीने की शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इस दिन रामचंद्र जी ने लंका के राजा रावण को मारा था। दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसी ख़ुशी में दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन जगह -जगह मेले लगते है। मेलो में रावण ,कुंभकरण और मेघनाद के बड़े -बड़े पुतले जलाए जाते है। यह देखकर सब लोग खुश होते है। मेले में बच्चे मिठाई और खिलौने खरीदते है। ख़ुशी -ख़ुशी घर आते है। इसी पर्व पर काली माता या दुर्गा देवी की भी पूजा होती है।                                                                                                ( दीपावली ) दीपावली हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है। यह कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम 14 सालो के वनवास के पशचात अयोध्या वापस आ

Acha shrir bnane ke trika

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स्वस्थ्य रहना सभी के लिए आवश्यक है। स्वस्थ व्यक्ति के चेहरे पर हमेशा ताजगी दिखाई देती है।  स्वस्थ व्यक्ति चुस्त और फुर्तीला रहता है। स्वस्थ्य रहने के लिए कई नियमो का पालन करना चाहिए - (1 ) हमे सदैव स्वच्छ व ताजा भोजन करना चाहिए। (2 ) भोजन हाथ धोकर करना चाहिए।  (3 )हरी सब्जियों व फलो का सेवन अधिक करना चाहिए।  (4 )हमे सुबह जल्दी उठना चाहिए।  (5 )रात को देर से नहीं सोना चाहिए।  (6 ) रोज सुबह सैर को जाना चाहिए व व्यायाम करना चाहिए।  (7 )हमे प्रतिदिन नहना चाहिए। (8 )साफ -सुथरे कपड़े पहनने चाहिए।  (9 )रोज दाँत साफ करने चाहिए।  (10 )शौच के बाद सफाई से हाथ धोने चाहिए।  (11 )हमे प्रतिदिन खेलना चाहिए। खेलने से हमारा शरीर चुस्त और फुर्तीला बनता है।  (12 ) हमे अपने शरीर  प्रति पूरी सजग रहना चाहिए।  (13 )एक अच्छा शरीर में ही मष्तिक निवास करता है।       अच्छा शरीर भगवान का वरदान है। स्वस्थ रहने के लिए हमे स्वच्छता ,व्यायाम ,और उचित विश्राम की आवश्यकता होती है। ये अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण नियम है।                             ( सफाई ) हमे दांतो को रोजाना

Uttr bhart ka upjau medan

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भारत के ह्रदय स्थान के रूप में विख्यात हिमालय पर्वत से लगा हुआ भारत का उत्तरी मैदान संसार के सबसे उपजाऊ मैदान में से एक है।   उत्तर भारत का उपजाऊ मैदान इसका निर्माण नदियों द्वारा लाई गई मिटटी के जमाव से हुआ है। भारत की प्राचीन सभ्यता व संस्कृति का विकास इसी मैदान पर हुआ। उत्तराखंड ,झारखंड ,पंजाब ,बिहार हरियाणा ,उत्तर प्रदेश ,बंगाल ,आसाम प्रदेश इस मैदान के अंग है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम तक की लंबाई 2500 किलोमीटर है और उत्तर से दक्षिण की चौड़ाई लगभग 150 से 300 किलोमीटर के बीच है।         इस मैदान में अनेक नदियाँ बहती है जो इस मैदान को उपजाऊ बनाती है। इसी आधार पर मैदान को तीन भागो में बांटा जाता है - ( 1 ) सतलुज जल क्षेत्र  ( बेसिन ) .  ( 2 ) गंगा जल क्षेत्र।  (3 ) ब्रह्मपुत्र जल क्षेत्र।  1 सतलुज जल क्षेत्र क्या आप जानते है कि जल क्षेत्र क्या होता है ? जल क्षेत्र उस क्षेत्र को कहते है जोकि किसी नदी अथवा उसकी सहायक नदियों द्वारा सींचा जाता है। दिल्ली का पश्चिम मैदानी भाग सतलुज जल क्षेत्र कहलाता है। सतलुज और उसकी सहायक नदी व्यास इस जल क्षेत्र को सींचती हुई अरब